भारत कनाडा विवाद के बीच अमेरिका ने साफ किया अपना रुख, भारत को बताया मजबूत साझेदार
India-Canada Controversy : भारत और कनाडा विवाद सुर्खियों में बना हुआ। दोनों देशों के विवाद पर सबकी निगाहें इस पर टिकी थी की अमेरिका का क्या स्टैंड होगा। अमेरिका किस देश का साथ देगा। हाल ही में ऐसी खबरें आई थी कि अमेरिकी राजदूत ने भारत और अमेरिका के रिश्तों को लेकर चेतावनी दी हैं। वहीं अमेरिकी राजदूत ने इन खबरों का खंडन कर दिया है।
भारत के साथ मिलकर कर रहे काम दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि गार्सेटी अमेरिका और भारत के बीच मजबूत साझेदारी को और गहरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने भारत में अमेरिकी मिशन भारत के महत्वपूर्ण, रणनीतिक और परिणामी साझेदारी को आगे बढ़ाने के काम किया है। जैसा कि उनकी व्यक्तिगत व्यस्तता और सार्वजनिक कार्यक्रम से पता चलता है, राजदूत गार्सेटी और भारत में अमेरिकी मिशन भारत के साथ हमारी महत्वपूर्ण, रणनीतिक और परिणामी साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए हर दिन काम कर रहे हैं। यही नहीं पेंटागन ने भी भारत के साथ मजबूत संबंध की प्रतिबद्धता दोहराई है। पेंटागन ने अपने बयान में कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के साथ मजबूत रक्षा साझेदारी को बढ़ावा देना जारी रखेगा।
पेंटागन के प्रेस प्रमुख ने कही ये बात
पेंटागन के प्रेस प्रमुख पैट राइडर ने अपने एक बयान में कहा है, "हम रक्षा के क्षेत्र में भारत के साथ अपने संबंधों की बहुत सराहना करते हैं। हम भारत के साथ मजबूत रक्षा साझेदारी को बढ़ावा देना जारी रखेंगे। मुझे लगता है कि आप हमें आगे भी ऐसा करते हुए देखेंगे।" वहीं राइडर ने चीन को लेकर भी बात की और कहा कि कि चीन रक्षा विभाग के लिए लगातार चुनौती बना हुआ है। उन्होंने कहा, "जब राष्ट्रों की संप्रभुता को संरक्षित करने और अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित आदेश का पालन करने की बात आती है तो भारत ने कई वर्षों से शांति और स्थिरता को कायम रखा है। इंडो- पैसिफिक क्षेत्र में अन्य देशों के साथ हमारी साझेदारी की सराहना करते हैं।"
संबंधों पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर दी थी चेतावनी
गौरतलब है कि एक रिपोर्ट में कहा गया था कि गार्सेटी ने अपनी टीम को ओटावा के साथ नई दिल्ली के राजनयिक विवाद के भारत-अमेरिका संबंधों पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर चेतावनी दी थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि गार्सेटी ने अपने देश की टीम को बताया था कि कनाडा के साथ राजनयिक विवाद के कारण, भारत और अमेरिका के बीच संबंध कुछ समय के लिए खराब हो सकते हैं।
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