कराची में मौलाना फजलुर रहमान का फौज पर बड़ा हमला, आर्मी चीफ से पूछे तीखे सवाल
Pakistan Politics: पाकिस्तान की सियासत में उस वक्त बड़ा भूचाल आ गया, जब जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (फजल) के अध्यक्ष मौलाना फजलुर रहमान ने खुले मंच से सेना और आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर की नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए। कराची के ल्यारी इलाके में दिए गए उनके बयान अब पूरे देश में चर्चा का विषय बन गए हैं। मौलाना फजलुर रहमान 21 दिसंबर, 2025 को कराची के ल्यारी पहुंचे थे। यहां वे “तहफ्फुज दीनिया मदारीस कॉन्फ्रेंस” में मुख्य वक्ता थे। अपने संबोधन में उन्होंने पाकिस्तान की सेना की नीतियों, अफगानिस्तान से रिश्तों और देश की मौजूदा राजनीति पर खुलकर बात की।
चुनाव कराने की दी सलाह
मौलाना फजलुर रहमान ने कहा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्ते खराब होने के लिए सेना की नीतियां जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि देश में मौजूदा सरकार वोट रिगिंग से बनी है और ऐसे में नए चुनाव कराए जाने चाहिए। उन्होंने साफ कहा कि यह सरकार अब और नहीं चलनी चाहिए। आर्मी चीफ आसिम मुनीर की अफगानिस्तान नीति पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हमेशा ऐसा अफगानिस्तान चाहता रहा है जो प्रो-पाकिस्तान हो, लेकिन जहीर शाह से लेकर अशरफ गनी तक, अफगानिस्तान की सरकारें प्रो-इंडिया रहीं, प्रो-पाकिस्तान नहीं। मौलाना ने सवाल उठाया कि अगर लगातार ऐसा हो रहा है, तो क्या यह हमारी अपनी नीति की नाकामी नहीं है।
फौज से किया सवाल
उन्होंने कहा कि जब पाकिस्तान की फौज काबुल पर बमबारी करती है, तो यह वैसा ही है जैसे कोई इस्लामाबाद पर हमला करे। ऐसे में तालिबान से ये उम्मीद कैसे की जा सकती है कि वह चुपचाप इसे बर्दाश्त करेगा। मौलाना ने कहा कि हिंसा से रिश्ते नहीं सुधरते, बल्कि और बिगड़ते हैं। इसके साथ ही मौलाना फजलुर रहमान ने भारत के मुद्दे पर भी फौज से तीखे सवाल किए।
उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत द्वारा मुरीदके और बहावलपुर जैसे आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई को उदाहरण बनाते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान अपने दुश्मनों के ठिकानों पर हमले को जायज ठहराता है, तो फिर भारत की कार्रवाई पर आपत्ति क्यों की जाती है। उन्होंने पूछा कि अगर अफगानिस्तान पर कार्रवाई को सही माना जाता है, तो भारत की कार्रवाई को गलत कैसे कहा जा सकता है।
पाकिस्तान की राजनीति में नई बहस
अंत में मौलाना ने कहा कि अफगानिस्तान को सिर्फ आज के हालात से नहीं, बल्कि 78 साल की नीति के नजरिए से देखना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या पाकिस्तान की अफगान नीति पूरी तरह विफल हो चुकी है। मौलाना के इन बयानों ने पाकिस्तान की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है।
दुनिया
देश
कार्यक्रम
राजनीति
खेल
मनोरंजन
व्यवसाय
यात्रा
गैजेट
जुर्म
स्पेशल
मूवी मसाला
स्वास्थ्य
शिक्षा
शिकायत निवारण
Most Popular
Leave a Reply