कांवड़ लेने जा रहे हैं तो जान लें कांवड़ यात्रा के ये नियम
Kanwar Yatra 2023 : 4 जुलाई 2023 से पवित्र सावन माह शुरू हो रहा है, इस पवित्र महीने में भगवान शिव की आराधना की जाती है। सावन माह में पूजा-पाठ, व्रत और कांवड़ यात्रा का काफी विशेष महत्व होता है। हर वर्ष भारी संख्या में भगवान भोले के भक्त कांवड़ लेकर अपने अपने घर के पास स्थित शिव मंदिरों में पहुंचकर महादेव का जलाभिषेक करते हैं। बता दें कि, हिंदू धर्म में कांवड़ यात्रा को लेकर कई मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि, सावन माह में कांवड़ ले जाने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है और भगवान शिव कांवड़ ले जाने वाले अपने भक्तों के हर दुख-दर्द और रोग को ख़त्म कर देते हैं। भगवान शिव अपने भक्तों के जीवन के सभी संकट को हर लेते हैं। कांवड़ लाने के लिए भक्तों को कुछ नियमों का पालन करना होता है।
कावंड़ यात्रा से जुड़े नियम
- कांवड़ यात्रा करने के दौरान कांवड़ियों को साफ-सफाई और शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए।
- गंगा जल से भरी हुई कांवड़ को जमीन पर नहीं रखना चाहिए, अगर रखना जरूरी है तो कांवड़ को किसी ऊंचे स्थान पर ही रखना चाहिए।
- कांवड़ियों को मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से सावन माह में दूरी बनानी चाहिए।
- कांवड़ को बिना स्नान किए नहीं छूना चाहिए।
- कांवड़ को कभी भी वृक्ष के नीचे नहीं रखना चाहिए।
- कांवड़ को अपने सिर के ऊपर से लेकर नहीं जाना चाहिए।
- कांवड़ यात्रा के दौरान किसी के लिए भी बुरे या गलत शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- कांवड़ ले जाते हुए दिल से भगवन शिव के मंत्रो का जाप करना चाहिए या फिर जयकारे लगाने चाहिए।
कितने प्रकार की होती हैं कांवड़
बता दें कि, कांवड़ यात्रा तीन प्रकार की बताई गई हैं, जिसमें सामान्य, डाक और दांडी कांवड़ शामिल है। सामान्य कांवड़ यात्रा में कांवड़िए रूक-रूक कर आराम करते हुए अपनी यात्रा को पूरा करते हैं। वहीं डाक कांवड़ यात्रा में कांवड़िए निरंतर दौड़ते रहते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करने के बाद ही रूकते हैं। दांडी कांवड़ यात्रा में कांवड़िये गंगा के दंड करते हुए शिव मंदिर पहुंचते हैं। दांड़ी कांवड़ काफी ज्यादा कठिन होती है, जिसमें काफी समय भी लग जाता है।
Disclaimer : इस आर्टिकल में दी गई जानकारी जन सामान्य सूचनाओं और मान्यताओं पर आधारित है। Khabarfast News Channel इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।
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