'थोड़ी तो मर्यादा रखिए...' जस्टिस वर्मा मामले की सुनवाई करते हुए किस बात पर नाराज हुआ सुप्रीम कोर्ट?

Supreme Court Hearing On Justice Verma Case: सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई को इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ नकदी बरामदगी विवाद में एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका की तत्काल सुनवाई से मना कर दिया। वकील मैथ्यूज नेदुमपारा ने चीफ जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच से आग्रह किया किया कि यह उनकी तीसरी याचिका है और इसे जल्द सुनवाई के लिए लिस्ट किया जाए।
मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि क्या आप चाहते हैं कि इसे अभी खारिज कर दिया जाए?" उन्होंने कहा कि याचिका को उचित समय पर सुनवाई के लिए लिस्ट किया जाएगा। वहीं, वकील ने दलील दी कि एफआईआर दर्ज होनी चाहिए और जांच होनी चाहिए। लेकिन, बेंच ने वकील की ओर से जज यशवंत वर्मा को 'वर्मा' कहकर संबोधित करने पर नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस ने कहा कि क्या वह आपके दोस्त हैं? वह अभी भी जस्टिस वर्मा हैं। आप उन्हें कैसे बुला रहे हैं? कुछ मर्यादा रखें। वह एक जज हैं।"
याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग
वकील ने जोर देकर कहा कि यह मामला गंभीर है और इसे सूचीबद्ध करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि उनमें कोई महानता है। इस पर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कृपया कोर्ट को आदेश न दें। हाल ही में, जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर एक आंतरिक जांच कमेटी की रिपोर्ट को रद करने की मांग की थी। जिसमें उन्हें नकदी बरामदगी मामले में दोषी करार दिया गया था।
पूर्व सीजेआई की सिफारिश को चुनौती
जस्टिस वर्मा ने पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना की 8 मई की सिफारिश को भी चुनौती दी, जिसमें संसद से उनके खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई शुरू करने की बात कही गई थी। आपको बता दें कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू की अध्यक्षता वाली तीन जजों की कमेटी ने 10 दिनों तक जांच की, 55 गवाहों से पूछताछ की और घटनास्थल का जायजा लिया था। इस रिपोर्ट के आधार पर पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की थी।
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