CWC बैठक में दिग्विजय सिंह के बयान से कांग्रेस में हलचल, संगठन और ‘स्लीपर सेल’ पर उठे सवाल
CWC Meeting: कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की शनिवार, 27 दिसंबर को हुई बैठक में उस समय माहौल गरमा गया, जब राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने पार्टी के संगठन और अंदरूनी हालात पर खुलकर सवाल उठाए। सूत्रों के मुताबिक, बैठक की शुरुआत में ही दिग्विजय सिंह ने संगठन की कमजोरी और कांग्रेस के भीतर कथित “स्लीपर सेल” की मौजूदगी का मुद्दा उठाया।
पार्टी के लोगों को पहचानना जरूरी- दिग्विजय
दिग्विजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस आंदोलन और विरोध की बातें तो करती है, लेकिन उन्हें जमीन पर उतारने के लिए मजबूत संगठन की कमी है। उन्होंने RSS और कांग्रेस की कार्यशैली की तुलना करते हुए कहा कि सत्ताधारी बीजेपी से मुकाबले के लिए कांग्रेस को बूथ और गांव स्तर तक मजबूत संगठन खड़ा करना होगा। उनका कहना था कि पार्टी के भीतर ऐसे लोग सक्रिय हैं, जिन्हें पहचानने की जरूरत है।
पोस्ट को लेकर हुआ बवाल
इस पर संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने टिप्पणी की कि संगठन सृजन को लेकर पार्टी जो काम कर रही है, उसे लोग सोशल मीडिया पर रीट्वीट तक नहीं करते। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए दिग्विजय सिंह ने फिर दोहराया कि कांग्रेस में कई स्लीपर सेल एक्टिव हैं, जिन्हें चिन्हित करना जरूरी है। बैठक से पहले दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक पुरानी तस्वीर साझा की थी, जिसमें RSS-BJP की संगठनात्मक ताकत की तारीफ की गई थी। इस पोस्ट को लेकर कांग्रेस के भीतर असहजता देखी गई, जबकि बीजेपी ने इसे राहुल गांधी के नेतृत्व के खिलाफ असहमति बताया।
मनरेगा को लेकर बैठक
सूत्रों के अनुसार, CWC बैठक मुख्य रूप से 5 जनवरी से मनरेगा (MGNREGA) को लेकर प्रस्तावित आंदोलन की रणनीति तय करने के लिए बुलाई गई थी। जब दिग्विजय सिंह ने संगठन और विकेंद्रीकरण जैसे मुद्दे उठाए, तो कुछ वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें बैठक के एजेंडे तक सीमित रहने की सलाह दी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी अन्य नेताओं की राय सुनने की बात कहते हुए उन्हें रोका।
नेतृत्व संकट का मिला संकेत
बैठक के बाद दिग्विजय सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि वे RSS की विचारधारा के विरोधी हैं, लेकिन उसकी संगठनात्मक क्षमता की सराहना करते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक आंदोलन की पार्टी है, लेकिन आंदोलन को वोट में बदलने में चूक जाती है। वहीं, बीजेपी ने इस बयान को लेकर कांग्रेस पर हमला तेज कर दिया। बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी और प्रदीप भंडारी ने इसे कांग्रेस के भीतर नेतृत्व संकट का संकेत बताया।
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