बिहार सरकार के 71 हजार करोड़ रुपए कहां गए? तेजस्वी यादव के कार्यकाल के दौरान की सीएजी रिपोर्ट से भूचाल!

CAG Report on Bihar Government: आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी तापमान बढ़ा हुआ है। वोटर लिस्ट पुनरीक्षण के कारण सत्तापक्ष-विपक्ष में संग्राम मचा हुआ है। इस बीच सीएजी की वित्त वर्ष 2023-24 की रिपोर्ट विधानसभा के मानसून सत्र में पेश की गई। जिसने बड़े सवाल खड़े किए हैं। कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार सरकार 70, 877 करोड़ रुपए के कामों के उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा नहीं की है।
बता दें कि जिन 70,877 करोड़ रुपए का जिक्र कैग की रिपोर्ट में किया गया है। उनमें से 14, 452.38 करोड़ रुपए वित्त वर्ष 2016-17 तक की अवधि के दौरान की है। इसकी वजह से राजद नेता तेजस्वी यादव के कार्यकाल से भी तार जुड़ रहे हैं। उस समय तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री थे।
कौन-कौन से मंत्रालय को लेकर खुलासा
सीएजी रिपोर्ट में बताया गया है कि डिफॉल्टर विभागों में पंचायती राज सबसे ऊपर है। जिसने 28,154.10 करोड़ रुपए के प्रमाणपत्र जमा नहीं किए हैं। इसके बाद शिक्षा विभाग के 12,623 करोड़ रुपए, शहरी विकास मंत्रालय के 11,065.50 करोड़ रुपए, ग्रामीण विकास विभाग के 7,800.48 करोड़ और कृषि विभाग के 2,107.63 करोड़ रुपए शामिल है।
2015 में कौन सा मंत्रालय किसके पास था
बता दें कि जिस समय 2015 में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने मिलकर महागठबंधन की सरकार बनाई थी, उस समय पंचायती राज जदयू के कपिल देव कामत, शिक्षा मंत्रालय जदयू के अशोक चौधरी, शहरी विकास मंत्रालय जदयू के महेश्वर हजारी, ग्रामीण विकास मत्रालय जदयू के श्रवण कुमार और कृषि मंत्रालय राजद के राम विचार राय को दिया गया था।
तेजस्वी यादव भी थे सरकार का हिस्सा
आपको बता दें कि जिस वक्त की सीएजी रिपोर्ट आई है। उस वक्त नीतीश सरकार में तेजस्वी यादव की राजद भी शामिल थी। तेजस्वी यादव तीन मंत्रालयों की जिम्मेंदारी संभाल रहे थे। उन्होंने अपने पास सड़क निर्माण, भवन निर्माण, पिछड़ा वर्ग विकास मंत्रालय रखा था। इसके अलावा तेज प्रताप यादव के पास भी मंत्रालय का जिम्मा था, जिसमें स्वास्थ्य मंत्रालय, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्रालय शामिल था।
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