बिहार में वोटर लिस्ट में संशोधन रहेगी जारी, SC से चुनाव आयोग को मिली बड़ी राहत
SC On Voter list revision: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग के द्वारा विशेष गहन पुनरीक्षण किया जा रहा है। ECके इस प्रक्रिया के खिलाफ विपक्षी दलों का भारी विरोध भी देखने को मिला है। गुरुवार को विशेष गहन पुनरीक्षण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने 10 याचिकाओं पर सुनवाई की। करीब दो घंटे से अधिक समय तक चले सुनवाई के बाद अदालत ने चुनाव आयोग को बड़ी राहत दी है। वोटर लिस्ट रिवीजन को रोकने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। SCने कहा कि बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन जारी रहेगा और हम संवैधानिक संस्था के काम को नहीं रोक सकते। हालांकि, इस मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।
गलियों में न जाएं, हाईवे पर ही रहें
याचिकाकर्ता के वकील गोपाल एस ने कहा कि बिहार में अंतिम मतदाता सूची जून में ही अस्तित्व में आ गई थी। इसके बाद न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा कि चुनाव आयोग इसमें न्यायाधीशों, पत्रकारों और कलाकारों को शामिल कर रहा है क्योंकि वे पहले से ही जाने जाते हैं। हमें इसे ज्यादा लंबा नहीं खींचना चाहिए। हमें गलियों में नहीं जाना चाहिए, बल्कि हाईवे पर ही रहना चाहिए। न्यायमूर्ति बागची ने कहा कि आपका मुख्य तर्क दस्तावेज़ों की श्रेणी से आधार कार्ड को बाहर रखना है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मतदाता सूची पुनरीक्षण का काम आयोग के गहन पुनरीक्षण और संक्षिप्त पुनरीक्षण नियमों में है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि हमें बताइए कि आयोग से यह कब करने की अपेक्षा की जाती है? समय-समय पर या कब? आप चुनाव आयोग की शक्तियों को नहीं, बल्कि उसके संचालन के तरीके को चुनौती दे रहे हैं।
'चुनाव आयोग जो कर रहा वह संविधान के तहत अनिवार्य'
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील गोपाल एस ने कहा कि यह मतदाता सूची का पुनरीक्षण है। इसका एकमात्र प्रासंगिक प्रावधान जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950है। अधिनियम और नियमों के तहत मतदाता सूची का नियमित पुनरीक्षण किया जा सकता है। एक गहन पुनरीक्षण है और दूसरा संक्षिप्त पुनरीक्षण। गहन पुनरीक्षण में पूरी मतदाता सूची को मिटा दिया जाता है और पूरी प्रक्रिया नई होती है, जिससे सभी 7.9करोड़ मतदाताओं को गुजरना पड़ता है। संक्षेप में, मतदाता सूची में छोटे-मोटे संशोधन किए जाते हैं। यहां जो हुआ, वह एक विशेष गहन पुनरीक्षण का आदेश देना है।
इस पर जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा कि चुनाव आयोग जो कर रहा है वह संविधान के तहत अनिवार्य है। आप यह नहीं कह सकते कि वे ऐसा कुछ कर रहे हैं जो संविधान के तहत अनिवार्य नहीं है। उन्होंने पिछली बार 2003 में ऐसा किया था। क्योंकि गहन अभ्यास किया जा चुका है। उनके पास इसके आंकड़े हैं। वे फिर से माथापच्ची क्यों करेंगे? चुनाव आयोग के पास इसके पीछे एक तर्क है।
दुनिया
देश
कार्यक्रम
राजनीति
खेल
मनोरंजन
व्यवसाय
यात्रा
गैजेट
जुर्म
स्पेशल
मूवी मसाला
स्वास्थ्य
शिक्षा
शिकायत निवारण
Most Popular
Leave a Reply