बंगाल में मतुआ समुदाय क्यों है खास, बीजेपी के लिए कैसे बनें ये वोट बैंक?
Matua Community Citizenship: पश्चिम बंगाल में राजनीति का माहौल गरमाता हुआ नजर आ रहा है। इसकी वजह है मतुआ समुदाय का बड़ा वोट बैंक है। मतुआ वे हिंदू शरणार्थी हैं जो धार्मिक उत्पीड़न के कारण बांग्लादेश से भारत आए थे। ये लोग दशकों से भारतीय नागरिकता की मांग कर रहे हैं। बीजेपी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी CAA के माध्यम से इन्हें नागरिकता देने का वादा किया था। साल 2014 के बाद हुए चुनावों में इसी वादे की वजह से मतुआ समुदाय ने बड़ी संख्या में बीजेपी को अपना सपोर्ट दे रहे थे।
मतुआ समुदाय के बीच SIR का डर
वहीं, अब मतुआ समुदाय के बीच गहरी चिंता फैली हुई है। इसकी वजह पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के लिए शुरू हुई स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया। आधार कार्ड, वोटर आईडी और पैन कार्ड जैसे भारतीय दस्तावेज होने के बावजूद कई मतुआ लोगों में डर का माहौल बना हुआ है कि उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाया जा सकता है। उनकी सबसे बड़ी परेशानी ये है कि वे अपनी पारिवारिक ऐतिहासिक कड़ियां साबित नहीं कर पाएंगे, क्योंकि उनकी जड़ें बांग्लादेश से जुड़ी हैं।
इस वजह से बढ़ी समुदाय की मुश्किलें
इस समय समुदाय के सामने मुश्किल स्थिति बनी हुई है। SIR की वजह से वोटर लिस्ट में दोबारा नाम दर्ज कराने के लिए उन्हें आधिकारिक रूप से भारतीय नागरिक होना जरूरी है। लेकिन अगर वे CAA के तहत आवेदन करते हैं, तो उन्हें खुद को औपचारिक रूप से बांग्लादेशी विदेशी नागरिक घोषित करना पड़ सकता है। इससे नागरिकता मिलने तक उनकी कानूनी स्थिति अनिश्चित और कमजोर हो सकती है।
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