Ram Mandir Dhwajarohan 2025: 44 मिनट का दुर्लभ शुभ मुहूर्त, जानें राम मंदिर पर धर्मध्वज का आध्यात्मिक रहस्य
Ram Mandir Dhwajarohan 44 Minute Muhurat: अयोध्या के राम मंदिर में आज, 25नवंबर 2025को ध्वजारोहण का ऐतिहासिक आयोजन हो रहा है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंदिर के शिखर पर केसरिया धर्मध्वज फहराया जाएगा। यह कार्यक्रम विवाह पंचमी के पावन अवसर पर संपन्न हो रहा है, जो राम-सीता विवाह की स्मृति से जुड़ा है। ध्वजारोहण मंदिर निर्माण की पूर्णता का प्रतीक है और भक्तों की आस्था की विजय का उत्सव माना जा रहा है। इस अनुष्ठान से मंदिर में दैवीय ऊर्जा का संचार होता है, जो हिंदू परंपराओं में गहरा महत्व रखता है।
ध्वजारोहण की तिथि और समय
यह समारोह 25नवंबर 2025को अभिजीत मुहूर्त में आयोजित किया जा रहा है, जो दोपहर लगभग 11:45बजे से शुरू होकर 12:29बजे तक चलेगा। कुछ ज्योतिषीय गणनाओं में इस मुहूर्त की अवधि करीब 44मिनट बताई गई है। अयोध्या में यह समय विशेष रूप से चुना गया है, क्योंकि अभिजीत मुहूर्त दिन का सबसे मंगलकारी काल होता है, जिसमें सभी कार्य सिद्ध होते हैं।
धर्मध्वज का धार्मिक महत्व
धर्मध्वज, जिसे केसरिया ध्वज भी कहा जाता है, मंदिर के शिखर पर फहराने से मंदिर की पवित्रता और दैवीय शक्ति जागृत होती है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, मंदिर का शिखर वह स्थान है जहां से दिव्य ऊर्जा का प्रवेश होता है, और ध्वज इस ऊर्जा का संवाहक बनता है। यह ध्वज नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है तथा दूर से ही देवता की उपस्थिति का संकेत देता है। राम मंदिर के संदर्भ में, यह ध्वज सूर्यवंशी राम की परंपरा को दर्शाता है, जिसमें 'ओम', सूर्य चिह्न और कोविदार वृक्ष जैसे प्रतीक अंकित हैं। ध्वज की लंबाई 22फीट और चौड़ाई 11फीट है, जो 42फीट ऊंचे ध्वजदंड पर फहराया जाएगा, जिसमें 360डिग्री घूमने की व्यवस्था है। श्रीरामचरितमानस में भी ध्वज को मंगल का हेतु बताया गया है, जो त्रेता युग की स्मृति को जीवंत करता है।
44मिनट के शुभ मुहूर्त की विशेषता
अभिजीत मुहूर्त की अवधि लगभग 40-44 मिनट के आसपास होती है, जो सूर्य की स्थिति पर निर्भर करती है। 25 नवंबर को यह मुहूर्त विशेष इसलिए है क्योंकि यह विष्णु जी द्वारा शासित माना जाता है, जिसमें कोई दोष नहीं होता। ज्योतिष में अभिजीत को 'विजय मुहूर्त' भी कहा जाता है, जो नए कार्यों की शुरुआत के लिए आदर्श है। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा भी इसी मुहूर्त में हुई थी, इसलिए ध्वजारोहण के लिए इसे चुना गया। इसकी 44 मिनट की अवधि ब्रह्मांडीय संरेखण से जुड़ी है, जो अनुष्ठान की प्रभावशीलता बढ़ाती है और भक्तों को स्थायी आशीर्वाद प्रदान करती है। इस समय में पूजन से ग्रह दोष दूर होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित होता है।
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