लद्दाख में बढ़ा भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर पावर, राजनाथ सिंह ने श्योक टनल समेत 125 बड़े प्रोजेक्ट्स का किया उद्घाटन
Ladakh Infrastructure Projects: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज लद्दाख के लेह में बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) द्वारा निर्मित 125इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया। इन प्रोजेक्ट्स में श्योक टनल प्रमुख है। कुल परियोजनाओं की लागत लगभग 4,700से 5,000करोड़ रुपये है, जो बीआरओ के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा उद्घाटन है। इस मौके पर राजनाथ सिंह ने एक युद्ध स्मारक को भी राष्ट्र को समर्पित किया, जिसे सैनिकों और बीआरओ कर्मियों की बहादुरी का प्रतीक बताया।
राजनाथ सिंह ने कहा 'हम सीमावर्ती क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए पूरे उत्साह से काम कर रहे हैं। इन परियोजनाओं का समय पर पूरा होना राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।' उन्होंने श्योक टनल को एक 'बड़ी उपलब्धि' बताया और कहा कि यह सैनिकों तथा बीआरओ कर्मियों की मेहनत का सम्मान है, जो किसी भी मौसम में काम करते हैं। उन्होंने बीआरओ की सराहना करते हुए कहा कि उच्च ऊंचाई, बर्फीले, रेगिस्तानी और बाढ़ प्रभावित इलाकों में उनका काम प्रशंसनीय है।
उद्घाटन का विवरण
रक्षा मंत्री ने लेह में आयोजित समारोह में इन परियोजनाओं का उद्घाटन किया, जिसमें श्योक टनल को श्योक से ही शारीरिक रूप से लॉन्च किया गया। ये 125प्रोजेक्ट्स सात राज्यों (अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, मिजोरम) और दो केंद्र शासित प्रदेशों (लद्दाख, जम्मू-कश्मीर) में फैले हुए हैं। इनमें 28सड़कें, 93पुल और 4प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाएं शामिल हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि यह उद्घाटन 'विकसित भारत' की दिशा में एक बड़ा कदम है और सीमावर्ती इलाकों के समग्र विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने बीआरओ को 'कम्युनिकेशन' और 'कनेक्टिविटी' का पर्याय बताया, जो कठिन परिस्थितियों में भी काम करता है।
श्योक टनल की खासियत
श्योक टनल इस उद्घाटन का मुख्य आकर्षण है। यह 920मीटर लंबी टनल है, जो 'कट एंड कवर' तकनीक से बनाई गई है। यह दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (डीएस-डीबीओ) रोड पर स्थित है, जो दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण इलाकों में से एक है। यह टनल 920मीटर लंबी, कट एंड कवर विधि से निर्मित, जो भूस्खलन और हिमस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षित मार्ग प्रदान करती है।
इसके अलावा यह साल भर विश्वसनीय कनेक्टिविटी सुनिश्चित करती है, विशेषकर कठोर सर्दियों में जब भारी बर्फबारी, हिमस्खलन और अत्यधिक ठंड से आवागमन प्रभावित होता है। इससे सुरक्षा बलों की गतिशीलता बढ़ेगी और तेजी से तैनाती संभव होगी। साथ ही, इसे उच्च ऊंचाई वाले इलाके में बनाई गई, जहां मौसम और भूगोल दोनों ही बाधाएं पैदा करते हैं।
अन्य प्रमुख प्रोजेक्ट्स और उनका महत्व
इन परियोजनाओं में अरुणाचल प्रदेश में सेला-चब्रेला-बीजेजी रोड और लुमला ब्रिज जैसे वैकल्पिक मार्ग शामिल हैं, जो तवांग तक पहुंच को आसान बनाते हैं। सिक्किम में कलेप-गैगोंग रोड समेत कई पुलों का अपग्रेडेशन किया गया, जो आपदा के बाद कनेक्टिविटी को मजबूत करता है। मिजोरम में लॉन्गतलाई-डिल्टलांग-पर्वा अक्ष पर नई सुविधाएं विकसित की गईं, जो भारत-म्यांमार और भारत-बांग्लादेश सीमाओं पर लॉजिस्टिक्स को बेहतर बनाती हैं।
चंडीगढ़ में एक 3डी-प्रिंटेड एचएडी कॉम्प्लेक्स भी शामिल है। ये प्रोजेक्ट्स भारत की सीमा कनेक्टिविटी को मजबूत करते हैं, सैन्य तैयारियों को बढ़ावा देते हैं और दूरदराज के इलाकों में विकास को गति प्रदान करते हैं। बीआरओ का बजट 6,500 करोड़ से बढ़कर 7,146 करोड़ रुपये हो गया है, और पिछले दो वर्षों में 356 प्रोजेक्ट्स पूरे किए गए।
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