क्या है हलाला और इद्दत? UCC लागू होने के बाद उत्तराखंड में खत्म होंगी ये प्रथाएं
Uttarakhand Uniform Civil Code: उत्तराखंड में आज से यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू हो जाएगा। यह कोड राज्य में पुराने कानूनों को बदलकर नई दिशा देगा। यह शादी, तलाक, संपत्ति के अधिकार, गोद लेने और उत्तराधिकार जैसे महत्वपूर्ण मामलों में बदलाव लाएगा। खास बात यह है कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा, जहां यह कोड लागू किया जा रहा है।
हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं पर लगेगी रोक
UCCलागू होने से हलाला और इद्दत जैसी प्रथाएं खत्म हो जाएंगी। हलाला एक इस्लामी प्रथा है, जिसमें अगर किसी महिला को तलाक मिल जाए और वह फिर से अपने पूर्व पति से शादी करना चाहती है, तो उसे पहले किसी और से शादी करनी होती है। फिर वह तलाक लेकर ही अपने पहले पति से विवाह कर सकती है।
इद्दत प्रथा के तहत, अगर किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाती है या वह तलाक लेती है, तो उसे कुछ समय तक किसी अन्य पुरुष से शादी करने की अनुमति नहीं होती। इस दौरान उसे पर्दा करने और सजने-संवरने पर भी पाबंदी होती है।
UCCसे होने वाले अन्य बदलाव
UCCके लागू होने से उत्तराखंड में कई अन्य बदलाव होंगे:
-शादी का रजिस्ट्रेशन अब सभी के लिए अनिवार्य होगा, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या समुदाय से हो।
-तलाक का कानून सभी धर्मों के लिए समान होगा।
-शादी की न्यूनतम उम्र सभी धर्मों के लिए 18साल होगी।
- सभी धर्मों के लोग बच्चा गोद ले सकेंगे, लेकिन वे दूसरे धर्म के बच्चे को गोद नहीं ले पाएंगे।
-जायदाद में लड़कों और लड़कियों को समान अधिकार मिलेगा।
-लिव-इन रिलेशनशिप के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। यदि जोड़े की उम्र 18से 21साल के बीच है, तो उन्हें माता-पिता की सहमति लेनी होगी।
-लिव-इन रिलेशनशिप से जन्मे बच्चे को शादीशुदा जोड़े के बच्चे जैसे अधिकार मिलेंगे।
शेड्यूल ट्राइब को मिलेगी बाहर का अधिकार
इस नए कानून से शेड्यूल ट्राइब (ST) को बाहर रखा गया है। इसका मतलब है कि उनकी पारंपरिक प्रथाओं पर इस कानून का कोई असर नहीं पड़ेगा।
उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से समाज में समान अधिकारों की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जाएगा। यह सभी नागरिकों को समान अवसर और न्याय की गारंटी देगा।
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