तालिबान का पाकिस्तानी सेना की कई चौकियों पर कब्जे का दावा, डूरंड लाइन पर पर भयंकर युद्ध जैसे हालात
Afghanistan Pakistan War: इस समय पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और अफगानिस्तान खूनी जंग लड़ रहे हैं। अफगानिस्तान के तालिबानी लड़ाके डूरंड लाइन क्रॉस कर पाकिस्तान पर कहर बरपा रहे हैं। भारी मशीनगन और आधुनिक हथियारों से लैस तालिबानी लड़ाकों ने पाकिस्तानी चौकियों पर धावा बोल दिया है। अब मिली जानकारी के अनुसार, तालिबानी लड़ाकों मे पाकिस्तानी सेना के कई चौकियों पर कब्जा करने का दावा किया है। ऐसे में पाकिस्तान और तालिबान के बीच सीमा रेखा डूरंड लाइन (Durand Line) पर भयंकर युद्ध जैसे हालात बन गए हैं।
डूरंड लाइन को नहीं मानता तालिबान
इस हमले से भड़के तालिबानियों ने डूरंड लाइन से सटी पाकिस्तानी सेना की चौकियों पर हमला कर 19 पाकिस्तानी सैनिकों को मारने का दावा किया है। इसके अलावा 2 पाकिस्तानी चौकियों पर कब्जा करने का भी दावा किया है।
बता दें, अफगानिस्तान अंग्रेजों की खींची डूरंड लाइन को नहीं मानता है। जिसे लेकर शुरू से ही पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तवानपूर्ण हालात बने रहते हैं। अब दोनों देशों का एक-दूसरे पर हमला करने के बाद फिर डूरंड लाइन का मुद्दा गरम हो गया है।
अभी स्थिति सामान्य है
तालिबान और पाकिस्तान के बीच लड़ाई शनिवार की रात तक जारी थी। फिलहाल स्थिति अभी शांतिपूर्ण है। जारी संघर्ष को देखते हुए हजारों अफगान नागरिकों को सीमाई इलाकों से हटना पड़ा है। पाकिस्तानी सेना ने यह माना है कि डूरंड लाइन के पास कई इलाकों में लड़ाई हुई है, लेकिन तालिबानी हमले में सिर्फ 1 पाकिस्तानी सैनिक की मौत हुई है।
अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने दिया जवाब
अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में दोनों देशों के बीच खींची डूरंड लाइन को काल्पनिक रेखा करार दिया है। उनका कहना है कि 28 दिसंबर को पाकिस्तान के उन इलाकों में हमला किया गया था। जहां से अफगान जमीन पर हमले किए जाते थे। उन्होंने कहा कि अफगान सेना ने पाकिस्तानी सेना की कई चौकियों को भी जला दिया है।
तालिबान का कहर
बता दें, 1990 के दशक की शुरुआत में तालिबान का उभार अफगानिस्तान से रूसी सैनिकों की वापसी के बाद उत्तरी पाकिस्तान में हुआ था। पश्तो भाषा में तालिबान का मतलब होता है छात्र। खासकर ऐसे छात्र जो कट्टर इस्लामी धार्मिक शिक्षा से प्रेरित हों। ऐसा कहा जाता है कि कट्टर सुन्नी इस्लामी विद्वानों ने धार्मिक संस्थाओं के सहयोग से पाकिस्तान में इनकी बुनियाद खड़ी की थी।
शुरुआती तौर पर तालिबान ने ऐलान किया कि इस्लामी इलाकों से विदेशी शासन खत्म करेगा। उनका मकसद वहां शरिया कानून और इस्लामी राज्य स्थापित करना है। शुरू-शुरू में सामंतों के अत्याचार, अधिकारियों के करप्शन से आजीज जनता ने तालिबान में मसीहा देखा और कई इलाकों में कबाइली लोगों ने इनका स्वागत किया। लेकिन बाद में कट्टरता ने तालिबान की ये लोकप्रियता भी खत्म कर दी। लेकिन तब तक तालिबान इतना शक्तिशाली हो चुका था कि उससे निजात पाने की लोगों की उम्मीद खत्म हो गई।
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