अर्चना तिवारी केस में पुलिस के भी उड़े होश, 3 लड़कों और 1 विदेशी दोस्त का सामने आया रहस्यमय कनेक्शन
Archana Tiwari: अपने सपने को पूरा करना कौन नहीं चाहता ? लेकिन क्या हो जब इस सपने को पूरा करने की जिद जुनून बन जाए ? ऐसी ही एक कहना एमपी से सामने आई। दरअसल, मध्य प्रदेश की 29वर्षीय वकील अर्चना तिवारी की 12 दिन की गुमशुदगी ने पुलिस और परिवार को हैरान कर दिया। सिविल जज बनने का सपना देखने वाली अर्चना पर परिवार एक पटवारी से शादी का दबाव बना रहा था। अर्चना को लगता था कि यह शादी उनके करियर में बाधा बनेगी। इस असहमति ने उन्हें गायब होने का प्लान बनाने को मजबूर किया। दोस्त सारांश, ड्राइवर तेजेंद्र और नेपाली दोस्त वायासी देवकोटा की मदद से उन्होंने इस रहस्यमय योजना को अंजाम दिया। 6अगस्त को हरदा में बैठकर तीनों ने गुमशुदगी की सटीक स्क्रिप्ट तैयार की, जिसने जांच को उलझाए रखा।
केस ने किया पुलिस की नाक में दम
अर्चना ने नर्मदा एक्सप्रेस से कटनी जाने का बहाना बनाया। इटारसी स्टेशन पर तेजेंद्र उनके साथ था, जिसने उनका मोबाइल और कपड़े मिडघाट के जंगल में फेंक दिए ताकि हादसे का भ्रम बने। इसके बाद अर्चना, सारांश की कार में छिपकर शुजालपुर, बुरहानपुर, हैदराबाद, जोधपुर और दिल्ली होते हुए नेपाल पहुंची। रास्ते में टोल टैक्स और सीसीटीवी से बचने की पूरी कोशिश की गई। नेपाल में वायासी ने उन्हें शरण दी। लेकिन जैसे ही मामला मीडिया में छाया, पुलिस ने 70सदस्यीय टीम के साथ 500से ज्यादा CCTV फुटेज और कॉल रिकॉर्ड खंगाले। सारांश का नंबर बार-बार सामने आया, जिसने पुलिस को सही दिशा दिखाई।
मास्टरमाइंड अर्चना की गलतियां और वापसी
रेल एसपी राहुल कुमार लोढ़ा के अनुसार, अर्चना इस पूरे प्लान की मास्टरमाइंड थीं। उन्होंने मोबाइल का इस्तेमाल कम किया और शुजालपुर में किराए का कमरा लिया, लेकिन अनजाने में सुराग छोड़ती गईं। कॉल रिकॉर्ड और कुछ कैमरों में कार की झलक ने पुलिस को सारांश तक पहुंचाया, जिसने सारी सच्चाई उगल दी। नेपाल से अर्चना को दिल्ली के रास्ते भोपाल लाया गया। इस मामले में राम तोमर का नाम आया, लेकिन उनकी कोई भूमिका नहीं थी। शादी से बचने की कोशिश में अर्चना 12 दिन तक छिपी रहीं, लेकिन अंततः लौटना पड़ा।
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