बिहार में गमछा लहराते नजर आए PM, सोशल मीडिया पर मचा बवाल, जानें आखिर क्या संदेश देना चाहते थे प्रधानमंत्री
Bihar Elections 2025: आखिर क्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गमछा लहराने का वीडियो बिहार में राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गया? शुक्रवार को जब पीएम मोदी मुजफ्फरपुर पहुंचे, तो समर्थकों की भारी भीड़ और गूंजते नारे ‘मोदी, मोदी’ के बीच उन्होंने अपने माधुबनी प्रिंट वाले गमछे को हवा में लहराया।
वीडियो में देखा जा सकता है कि प्रधानमंत्री लगभग 30सेकंड तक गमछा लहराते हुए भीड़ की ओर देखते रहे और हाथ जोड़कर अभिवादन किया। इसके बाद वे छपरा रैली के लिए रवाना हो गए। यह पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी ने बिहार में ऐसा भावनात्मक इशारा किया हो; इससे पहले अगस्त में औंता-सिमरिया पुल उद्घाटन के दौरान भी उन्होंने गमछा लहराया था।
गमछा लहराने का राजनीतिक और सांस्कृतिक संदेश
गमछा बिहार और बंगाल में किसानों और मजदूर वर्ग का प्रतीक माना जाता है। इसे पसीना पोंछने, सिर पर बांधने और धूप से बचने के लिए उपयोग किया जाता है। राजनीतिक रैलियों में यह सांस्कृतिक प्रतीक और मेहनतकश जनता का आइकन बन चुका है। पीएम मोदी जब इसे हवा में लहराते हैं, तो यह संदेश भी देता है कि वे जनता के आदमी हैं और किसानों-मजदूरों के साथ खड़े हैं। इस छोटे से इशारे से मोदी ने अपने समर्थकों को जोड़ने के साथ-साथ लोकप्रियता और सियासी संदेश भी दिया।
बिहार की कार्यशील आबादी का 53.2% हिस्सा कृषि क्षेत्र से जुड़ा है और राज्य में भूमिहीन मजदूर व प्रवासी श्रमिकों की संख्या भी अधिक है। यही वर्ग चुनावी नतीजों पर निर्णायक प्रभाव डालता है। ऐसे में यदि एनडीए को तेजस्वी यादव-राहुल गांधी गठबंधन के मुकाबले अपनी पकड़ मजबूत करनी है, तो गांवों और किसानों तक पहुंच बनाना जरूरी है। इस रणनीति का हिस्सा बनते हुए प्रधानमंत्री का यह ‘गमछा लहराना’ केवल अभिवादन नहीं, बल्कि राजनीतिक संकेत भी है।
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