मणिपुर में छह महीने के लिए बढ़ाया गया राष्ट्रपति शासन, संसद ने लगाई मुहर

President Rule In Manipur: केंद्र सरकार ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि को छह महीने के लिए और बढ़ाने का फैसला किया है। यह विस्तार 13 अगस्त 2025 से प्रभावी होगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को लोकसभा में इस संबंध में एक वैधानिक प्रस्ताव पेश किया, जिसे सदन ने पारित कर दिया। वहीं, शुक्रवार तड़के राज्यसभा ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। बता दें, केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया था।
विपक्ष ने किया समर्थन, लेकिन...
बता दें, लोकसभा और राज्यसभा में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने वाले प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों ने इसका समर्थन किया, लेकिन केंद्र सरकार की आलोचना भी की। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि उनकी पार्टी राष्ट्रपति शासन के प्रस्ताव का समर्थन करती है, लेकिन सरकार को शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। उन्होंने उग्रवाद को समाप्त करने, संवाद को बढ़ावा देने और समावेशिता पर जोर देने की मांग की। TMC की सयानी घोष ने भी शांति की जल्द बहाली की वकालत की।
कांग्रेस ने यह भी सुझाव दिया कि यदि बीजेपी बहुमत होने के बावजूद सरकार नहीं बना पा रही है, तो राज्य में नए सिरे से चुनाव कराए जाएं। हालांकि, अमित शाह ने विपक्ष से मणिपुर के मुद्दे पर राजनीति न करने की अपील की और कहा कि सरकार शांति स्थापना और विस्थापितों के पुनर्वास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने आगे कहा 'पिछले चार महीनों से मणिपुर में कोई बड़ी हिंसक घटना नहीं हुई है। स्थिति पूरी तरह संतोषजनक नहीं है, लेकिन यह नियंत्रण में है।'
क्यों लगाया गया राष्ट्रपति शासन?
दरअसल, मणिपुर में मई 2023 से मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा का दौर जारी है। जिस वजह से 260 से ज्यादा लोग अपनी जान गवा चुके हैं। जबकि हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। इस हिंसा ने राज्य में शांति और प्रशासनिक व्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। स्थिति को नियंत्रित करने में राज्य सरकार की असफलता और राजनीतिक अस्थिरता के कारण 09 फरवरी 2025 को तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
इसके बाद 13 फरवरी को केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राज्य विधानसभा को भंग कर राष्ट्रपति शासन लागू किया था। इस मामले में केंद्र सरकार का कहना है कि मणिपुर में स्थिरता और शांति बहाल करने के लिए राष्ट्रपति शासन को जारी रखना आवश्यक है।
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