200 टोल प्लाजा पर फर्जी सॉफ्टवेयर का खेल, 100 करोड़ का घोटाला आया सामने
Toll Scam: उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा पर कार्रवाई करते हुए तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इन पर आरोप है कि इन्होंने देशभर के 200से ज्यादा टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया था, जिससे सरकारी खजाने में आने वाली रकम को हजम कर लिया गया। इस घोटाले का अनुमानित मूल्य 100करोड़ रुपये से अधिक है।
टोल वसूली में फर्जीवाड़ा कैसे हुआ?
टोल प्लाजा पर बिना फास्टटैग वाली गाड़ियों से दोगुना टोल लिया जाता है, जिसका 50%हिस्सा NHAI को भेजा जाना चाहिए। लेकिन आरोपियों ने NHAI के कंप्यूटर सिस्टम में अपना सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया, जिसके जरिए दोगुना टोल तो लिया गया, लेकिन पैसा NHAI के पास न भेजकर टोल प्लाजा के मालिक और उनके साथी इसे अपने खाते में डाल लेते थे। इसके अलावा, सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके उन्होंने बिना फास्टटैग वाली गाड़ियों को टोल से मुक्त कर दिया था और जो पर्ची दी जाती, वह असली NHAI की रसीद जैसी दिखती थी।
आमतौर पर बिना फास्टटैग वाली गाड़ियों से लिया गया टोल का 5%हिस्सा NHAI के असली सॉफ्टवेयर से वसूला जाता था, ताकि किसी को शक न हो। बाकी 95%का पैसा आरोपियों ने अपने फायदे के लिए रख लिया।
NHAI ने जारी किए कड़े दिशा-निर्देश
इस घोटाले के सामने आने के बाद, NHAI ने सभी क्षेत्रीय अधिकारियों और परियोजना निदेशकों को सख्त दिशा-निर्देश दिए हैं। उन्हें टोल प्लाजा ऑपरेटरों पर कड़ी निगरानी रखने, सभी लेनदेन का सही रिकॉर्ड रखने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया है। NHAI ने यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि FASTag के जरिए सभी कार्य सही तरीके से किए जाएं।
यह घटना एक बार फिर से दर्शाती है कि कुछ लोग सरकारी सिस्टम का दुरुपयोग कर अपने लाभ के लिए खजाने को नुकसान पहुंचाते हैं।
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