सरहद पर नन्हे सिपाही ने किया था कमाल, 10 साल के श्रवण सिंह को मिला प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार
Pradhan Mantri Rashtriya Bal Puraskar: देशभर के लोग पंजाब के फिरोजपुर जिले के एक 10 साल के बच्चे को सलाम कर रहा है। सरहदी गांव ‘चक तरां वाली’ के रहने वाले मास्टर श्रवण सिंह ने वह कर दिखाया है, जो बड़े-बड़े भी नहीं कर पाते। 26 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने श्रवण को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया।
जवानों की मदद के लिए आगे नन्हा सिपाही
श्रवण की कहानी सिर्फ एक पुरस्कार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हिम्मत, देशप्रेम और निस्वार्थ सेवा की मिसाल है। बात मई 2025 की है, जब भारत-पाकिस्तान सीमा पर हालात बेहद तनावपूर्ण थे। दुश्मन देश के ड्रोन लगातार सीमा में घुसपैठ कर रहे थे और हर वक्त खतरा बना हुआ था। ऐसे माहौल में लोग घरों से बाहर निकलने से डर रहे थे, लेकिन उस समय एक छोटा सा बच्चा अपनी जान की परवाह किए बिना सीमा की अग्रिम चौकियों की ओर निकल पड़ता था।
श्रवण सिंह रोज अपनी छोटी साइकिल से या पैदल ही भारतीय सेना के जवानों तक ठंडा पानी, बर्फ, दूध, लस्सी, चाय और जरूरी राशन पहुंचाता था। चिलचिलाती धूप, दुश्मन की निगरानी और हमले के खतरे के बीच भी वह पीछे नहीं हटा। उसका एक ही मकसद था, सरहद पर तैनात जवानों की मदद करना।
सैनिकों ने की श्रवण की तारीफ
श्रवण की इस निस्वार्थ सेवा ने सैनिकों का मनोबल बढ़ाया। जवानों का कहना है कि जब एक 10 साल का बच्चा बिना डरे उनके लिए यह सब कर सकता है, तो उन्हें भी नई ताकत मिलती है। श्रवण उनके लिए सिर्फ मददगार नहीं, बल्कि एक “लाइफलाइन” बन गया था।
किसे मिलता है ये पुरस्कार
पीएम राष्ट्रीय बाल पुरस्कार उन बच्चों को दिया जाता है, जिन्होंने साहस, समाज सेवा, खेल या नवाचार के क्षेत्र में असाधारण काम किया हो। इतनी कम उम्र में श्रवण ने जो बहादुरी और समझदारी दिखाई, वह पूरे देश के लिए प्रेरणा है। आज श्रवण सिंह सिर्फ अपने गांव या जिले का नहीं, बल्कि पूरे भारत का गौरव बन चुका है।
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