आखिर क्यों घूम-फिर कर तेजस्वी के माता-पिता पर आ जाते हैं नीतीश? जानें इसके पीछे की सियासी खेल

Nitish Vs Tejashwi: बिहार विधानसभा के मॉनसून सत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के बीच तीखी बहस ने सियासी माहौल को गरमा दिया। नीतीश ने तेजस्वी के माता-पिता, लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के 1990 से 2005 के शासनकाल को निशाना बनाते हुए कहा कि उस दौर में बिहार की हालत बदतर थी। उन्होंने 2005 के बाद अपने शासन में सुधारों और विकास का दावा किया, तेजस्वी को “बच्चा” कहकर उनकी सियासी परिपक्वता पर सवाल उठाए। जवाब में तेजस्वी ने चुनाव आयोग की मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया पर सवाल उठाए और नीतीश की मुख्यमंत्री पद की वैधता पर तंज कसा, जिससे सदन में हंगामा मच गया।
नीतीश का ‘जंगलराज’ दांव
नीतीश कुमार का लालू-राबड़ी के शासनकाल पर बार-बार हमला उनकी पुरानी रणनीति है, जिसके जरिए वह अपनी ‘सुशासन बाबू’ की छवि को मजबूत करते हैं। 1990-2005 के दौर को ‘जंगलराज’ करार देकर नीतीश मतदाताओं को उस समय की अराजकता और पिछड़ेपन की याद दिलाते हैं। सड़कों, शिक्षा, और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में अपने कार्यों को गिनाकर वह तेजस्वी को बैकफुट पर लाने की कोशिश करते हैं। यह रणनीति नीतीश को दो दशकों से सत्ता में बनाए रखने में कामयाब रही है।
तेजस्वी की जवाबी रणनीति
तेजस्वी यादव बिहार में बढ़ते अपराध और कानून-व्यवस्था की कमजोरी को मुद्दा बनाकर नीतीश की सुशासन छवि को चुनौती दे रहे हैं। वह नीतीश को उनके शासन की कमियों पर घेरते हुए सियासी नैरेटिव बनाने की कोशिश में हैं। दूसरी ओर, नीतीश तेजस्वी को उनके माता-पिता की विवादित विरासत से जोड़कर उनकी नई छवि को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश और तेजस्वी के बीच यह शह-मात का खेल बिहार की सियासत को और रोमांचक बना रहा है।
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