फरीदाबाद रेड से डरा आतंकी डॉ. उमर, बौखलाहट में बना दिल्ली ब्लास्ट का मास्टरमाइंड; NIA जांच में खुलासा
Delhi Blast:दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास रविवार 10 नवंबर को हुए कार विस्फोट की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह एक आतंकी हमला था, जिसमें मुख्य संदिग्ध डॉ. उमर मोहम्मद ने फरीदाबाद में हालिया छापेमारी और गिरफ्तारियों से घबराकर हड़बड़ी में ब्लास्ट का प्लान बनाया। सफेद ह्यूंडई i20 कार में अमोनियम नाइट्रेट जैसे विस्फोटक रखकर फिदायीन स्टाइल में हमले को अंजाम दिया गया। जिसमें 9 लोगों की मौत हुई और दर्जनों घायल हुए। जानकारी के अनुसार, डॉ. उमर कार में ही मौजूद था और उसने गिरफ्तारी के डर से विस्फोट ट्रिगर कर दिया।
यह घटना एक बड़े 'व्हाइट कॉलर' टेरर नेटवर्क का हिस्सा लगती है, जिसमें कश्मीरी डॉक्टरों और पेशेवरों की भूमिका उजागर हुई है। यह मामला 26 दिनों से चल रही जांच का ही हिस्सा माना जा रहा है, जो जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के पोस्टर्स से शुरू हुई और फरीदाबाद में बड़े पैमाने पर छापेमारी तक पहुंची। डॉ. उमर के अलावा बीते दिन कई डॉक्टरों को गिरफ्तार किया गया है, और 2900 किलो विस्फोटक सामग्री जब्त की गई है। दिल्ली पुलिस, NIA, एनएसजी और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त जांच में पाकिस्तान स्थित हैंडलर्स का भी हाथ सामने आया है।
घबराहट में बनाया धमाके का प्लान
पुलिस जांच की मानें तो डॉ. उमर पुलवामा का रहने वाला है और फरीदाबाद के अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ा था। 30 डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. आदिल अहमद राठर की गिरफ्तारी और उसके घर से 2900 किलो अमोनियम नाइट्रेट समेत हथियारों की बरामदगी से पूरा मॉड्यूल घबरा गया। डॉ. उमर को लगा कि अब उसकी बारी है, इसलिए उसने हड़बड़ी में i20 कार को विस्फोटक से भरकर दिल्ली की ओर रुख किया। कार लाल किले के पास तीन घंटे से ज्यादा समय से खड़ी थी, और शाम करीब 6:52 बजे ब्लास्ट हुआ।
घटनास्थलों पर मौजूद लोगों ने बताया कि विस्फोट से आग की लपटें उठीं, स्ट्रीट लाइट्स बंद हो गईं और आसपास की गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं। जांचकर्ताओं का कहना है कि असली टारगेट सेंट्रल दिल्ली हो सकता था, लेकिन पैनिक में जल्दबाजी हुई। कार की मालिकाना हक की ट्रेल गुरुग्राम के मोहम्मद सलमान से शुरू होकर पुलवामा के तारिक तक पहुंची, जो अब हिरासत में है। ब्लास्ट साइट से मिले शव की डीएनए जांच से डॉ. उमर की पहचान की पुष्टि की जा रही है।
टेरर नेटवर्क का खुलासा
जांच एजेंसियों ने इस मामले में कई चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा किया है, जो एक बड़े आतंकी प्लॉट की ओर इशारा करते हैं। जांच में पता चला है कि डॉ. मुजम्मिल शकील, डॉ. आदिल अहमद राथर, डॉ. शाहीन शाहिद और डॉ. उमर जैसे कश्मीरी डॉक्टर 'व्हाइट कॉलर' टेरर इकोसिस्टम का हिस्सा थे, जो पेशेवर कवर का इस्तेमाल कर रहे थे। जांच से जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फैले JeM और अंसार गजवत-उल-हिंद (AGuH) के नेटवर्क का खुलासा हुआ, जिसमें 9 गिरफ्तारियां हुईं। गिरफ्तार मौलवी इरफान अहमद के फोन से टेलीग्राम चैनल मिला, जो पाकिस्तान बेस्ड JeM आतंकी उमर बिन खत्ताब से जुड़ा था।
2900 किलो अमोनियम नाइट्रेट का खुलासा
बता दें, इस मामले का खुलासा 19 अक्टूबर को श्रीनगर के बुनपोरा नौगाम इलाके में JeM के समर्थन में चिपकाए गए धमकी भरे पोस्टरों से हुआ। पुलिस ने CCTV फुटेज से संदिग्ध डॉ. आदिल अहमद राठर की पहचान की, जो जम्मू-कश्मीर के कुलगाम का रहने वाला है। 6 नवंबर को सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) से गिरफ्तार आदिल के लॉकर से सरकारी मेडिकल कॉलेज अनंतनाग में AK-47 राइफल बरामद हुई। पूछताछ में आदिल ने फरीदाबाद में छिपे विस्फोटक का खुलासा किया, जो JeM के पाकिस्तान-आधारित हैंडलर्स से निर्देशित था।
इसके बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के साथ संयुक्त अभियान चलाया। फरीदाबाद के धौज गांव में डॉ. मुजम्मिल अहमद गनई (पुलवामा निवासी) के किराए के मकान से 360 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट (IED का मुख्य घटक), एक AK-47 राइफल, दो पिस्टलें, 84 कारतूस, 20 टाइमर, 24 रिमोट, इलेक्ट्रॉनिक सर्किट और 5 लीटर रसायन बरामद हुए। मुजम्मिल अ-फलाह मेडिकल कॉलेज में पढ़ाता था और तीन महीने पहले इस मकान को किराए पर लिया था।
पुलिस के अनुसार, यह मात्रा पुलवामा हमले जैसी घटना के लिए पर्याप्त थी। फरीदाबाद के पुलिस आयुक्त सतेंद्र कुमार गुप्ता ने कहा 'यह अमोनियम नाइट्रेट है, न कि RDX। लेकिन इसकी क्षमता विनाशकारी है। लेकिन हमने एक बड़ा खतरा टाल दिया।' कुल 23 ठिकानों पर छापेमारी से 2,900 किलोग्राम IED सामग्री, जिसमें विस्फोटक, रसायन, ज्वलनशील पदार्थ, बैटरी, तार, मेटल शीट और चाइनीज स्टार पिस्टल बरामद हुई।
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