
Economic Survey 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1फरवरी 2025को संसद में वित्त वर्ष 2025-26का आम बजट पेश करेंगी। बजट में सरकार अगले वित्त वर्ष के लिए होने वाले खर्चों का विवरण देती है। लेकिन इस बजट से पहले एक और दस्तावेज़ संसद में पेश किया जाता है, जिसे इकोनॉमिक सर्वे कहा जाता है। इसे हिंदी में आर्थिक समीक्षा भी कहा जाता है। यह दस्तावेज़ बजट से पहले क्यों महत्वपूर्ण है।
बता दें कि,इकोनॉमिक सर्वे सरकार का परफॉर्मेंस सर्टिफिकेट है, जो यह बताता है कि पिछले बजट का देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ा है। इसके साथ ही यह देश की समग्र आर्थिक स्थिति का विश्लेषण भी करता है। इकोनॉमिक सर्वे में तीन प्रमुख सेक्टर है कृषि (प्राइमरी), मैन्युफैक्चरिंग (सेकेंडरी), और सर्विस सेक्टर (जैसे आईटी और लॉजिस्टिक्स) की स्थिति पर जानकारी दी जाती है। यह बताता है कि इन सेक्टरों में क्या बदलाव आया है और भविष्य में इनमें किस दिशा में बदलाव हो सकता है।
भविष्य का आकलन
इकोनॉमिक सर्वे सिर्फ वर्तमान स्थिति का विश्लेषण नहीं करता, बल्कि भविष्य में देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर हो सकता है, इसका अनुमान भी देता है। इसमें महंगाई, वैश्विक व्यापार, भू-राजनैतिक परिस्थितियां और वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रभावों पर चर्चा की जाती है। यह सर्वे यह भी बताता है कि समाज के किस हिस्से को ज्यादा लाभ हो रहा है और किन क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है।
इकोनॉमिक सर्वे कब पेश होता है?
इकोनॉमिक सर्वे हर साल बजट से एक दिन पहले संसद में पेश किया जाता है। पहले बजट फरवरी के आखिरी दिन आता था, लेकिन अब यह 1फरवरी को पेश होता है, इसलिए इकोनॉमिक सर्वे 31जनवरी को आता है। इस साल आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 31जनवरी 2025को संसद में पेश किया जाएगा।
इकोनॉमिक सर्वे तैयार कौन करता है?
इकोनॉमिक सर्वे आर्थिक मामलों के विभाग के तहत काम करने वाली इकोनॉमिक डिवीजन तैयार करती है। इस पूरी प्रक्रिया के प्रमुख होते हैं मुख्य आर्थिक सलाहकार। वित्त मंत्री इसे सुबह संसद में पेश करती हैं, और उसी दिन शाम को मुख्य आर्थिक सलाहकार प्रेस को इसके बारे में जानकारी देते हैं। इस साल यह जिम्मेदारी वी. अनंत नागेश्वरन के कंधों पर होगी।
इकोनॉमिक सर्वे न सिर्फ सरकार की नीतियों का आकलन करता है, बल्कि देश की आर्थिक स्थिति का महत्वपूर्ण संकेतक भी है।
Leave a comment