बिहार चुनाव का 'सीट रेस' जोरों पर...चिराग-मांझी की दावेदारी, जानें NDA में कौन सबसे ताकतवर!

बिहार चुनाव का 'सीट रेस' जोरों पर...चिराग-मांझी की दावेदारी, जानें NDA में कौन सबसे ताकतवर!

Bihar Elections 2025: 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा-नीत एनडीए और आरजेडी-नीत महागठबंधन के बीच महज 12,000 से ज्यादा वोटों (कुल मतदान का 0.03%) का फासला था, जिससे एनडीए की जीत बेहद कसी हुई नजर आई। लेकिन गहन विश्लेषण बताता है कि गठबंधन की पार्टियों की असल ताकत उनके सीट प्रदर्शन से मेल नहीं खाती।

यह मूल्यांकन दो पैमानों पर आधारित है: पिछले चार चुनावों में पार्टियों के पहले-दूसरे स्थान और 30% या अधिक वोट वाली सीटें। एनडीए में भाजपा, जेडीयू, एलजेएपी-आरवी, एचएएम और आरएलएम शामिल हैं।

कुल मिलाकर, एनडीए की मुख्य शक्ति भाजपा-जेडीयू पर टिकी है, जबकि छोटे सहयोगी इनके दम पर ही मजबूत दिखते हैं।

एलजेएपी का 'कट्टर' प्रदर्शन, वापसी की जिद

चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी-राम विलास ने 2020में एनडीए से किनारा कर एक सीट जीती, लेकिन 18क्षेत्रों में दूसरे नंबर पर रही और 3सीटों पर 30%+ वोट बटोरे। ऐतिहासिक रूप से, पिछले चार चुनावों में पार्टी ने 15सीटों पर 30%+ वोट हासिल किए, जहां वह पहले या दूसरे स्थान पर रही। 2024लोकसभा से पहले पार्टी में फूट (पशुपति पारस का दावा) के बावजूद, चिराग की एलजेएपी अब एनडीए में लौट आई है और सीट बंटवारे में बड़ा दांव खेल रही है। पहले महागठबंधन के साथ भी लड़ी, लेकिन वर्तमान ताकत ऐतिहासिक आंकड़ों से मेल नहीं खाती।

भाजपा-जेडीयू की 'टाई' ब्रेकर ताकत

विश्लेषण से साफ है कि भाजपा और नीतीश कुमार की जेडीयू की चुनावी हैसियत कदम-कदम पर बराबर। 30%+ वोट वाली सीटों में भाजपा को 98और जेडीयू को 97मिलीं। पहले-दूसरे स्थान के आधार पर भी भाजपा की 152सीटें (जीत+दूसरा स्थान औसत) जेडीयू की 151से मुश्किल से आगे हैं। 2020में जेडीयू को 15%+ वोट से 43सीटें मिलीं, जबकि भाजपा ने 20% वोटों से 74 हासिल कीं। फिर भी, आगामी चुनाव में जेडीयू 102 और भाजपा 101 सीटें लड़ सकती है—जेडीयू का पुराना प्रदर्शन उसकी सौदेबाजी मजबूत करता है।

छोटे दलों की 'साया' ताकत, सीट दौड़ में दबाव

जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने 2015-2020में गया-औरंगाबाद जैसे इलाकों में पकड़ जमाई। वहीं, उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (पहले राष्ट्रीय लोक समता पार्टी) नई है और एनडीए-महागठबंधन दोनों में घूम चुकी। कुल विश्लेषण कहता है कि भाजपा-जेडीयू ही एनडीए की रीढ़ हैं; छोटे दल इनके सहारे ही चमकते हैं। चिराग और मांझी जैसे नेता बड़े हिस्से की मांग कर रहे हों, लेकिन सीट फॉर्मूले में प्रमुख दल इन तथ्यों को नजरअंदाज नहीं करेंगे।

Leave a comment