Bihar SIR Controversy: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले कई तरह के विवाद सामने आ रहे हैं, जिसमें से एक विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 15 सितंबर को कहा कि निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली में कोई अवैधता पाई जाती है तो चुनावी राज्य में SIR की पूरी प्रक्रिया को रद्द कर दिया जाएगा।
एसआईआर के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि ये माना जा रहा है कि संवैधानिक प्राधिकरण होने के नाते निर्वाचन आयोग ने एसआईआर के संचालन में कानून और अनिवार्य नियमों का पालन किया है।
कोर्ट ने तय की तारीख
इसके साथ ही कोर्ट ने बिहार एसआईआर पर कोई आंशिक राय देने से इनकार कर दिया और स्पष्ट किया कि उसका अंतिम फैसला पूरे भारत में प्रभावी होगा। न्यायालय ने बिहार में एसआईआर की वैधता पर अंतिम बहस सुनने के लिए 7 अक्टूबर, 2025 की तारीख दी है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 8 सितंबर को निर्देश दिया था कि राज्य में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान मतदाता सूची में नाम शामिल करने के लिए आधार को 12वें वैध दस्तावेज के रूप में माना जाएगा।
कोर्ट ने पहले ही दिए थे ये निर्देश
दरअसल, ये आदेश शिकायतों के बाद आया है कि चुनाव अधिकारी अदालत द्वारा पहले दिए गए निर्देशों के बावजूद आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं कर रहे हैं। पहले ही कोर्ट ने कहा था कि आधार कार्ड को नागरिकता साबित करने वाला दस्तावेज नहीं माना जा सकता, फिर भी यह पहचान और निवास का वैध प्रमाण बना रहेगा। राज्य में चल रही एसआईआर ड्राइव की विपक्षी दल आलोचना कर रहे हैं। उनका आरोप है कि लाखों वास्तविक मतदाताओं के नाम बिना सही सत्यापन के वोटर लिस्ट से हटा दिए जा रहे हैं।
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