MP News: मध्य प्रदेश के दमोह ज़िले के पटेरा जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम सतरिया से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि एक युवक ने पंचायत द्वारा लगाए गए जुर्माने को लेकर सोशल मीडिया पर एक मीम पोस्ट किया। इस मीम में आरोपियों का हंसी-मज़ाक उड़ाया गया था। हालांकि युवक ने करीब 15 मिनट बाद मीम को डिलीट कर सार्वजनिक माफी भी मांगी। लेकिन पंचायत ने ऐसे कदम उठाए कि जिसने एक तरह से मानवाधिकारों और संवैधानिक अधिकारों की सीमाएं पार कर दीं। मीम पोस्ट करने वाले युवक को पंचायत के सामने एक व्यक्ति के पैर धोने और फिर उसी गंदे पानी को पीने की “सजा” सुनाई गई।
दरअसल, ग्राम सतरिया में शराबबंदी को लेकर पहले से ही माहौल गर्म था। गांव की पंचायत ने हाल ही में शराब बेचने और पीने पर कड़ी कार्रवाई करते हुए एक युवक पर ₹2100 का जुर्माना लगाया था। इसी जुर्माने को लेकर गांव के ही एक अन्य युवक ने सोशल मीडिया पर एक मीम शेयर किया जिसमें एआई तकनीक का उपयोग कर जुर्माना भरने वाले व्यक्ति का मजाक उड़ाया गया था। यह पोस्ट कुछ ही मिनटों में गांव में वायरल हो गई और कई लोगों ने इसे अपमानजनक माना। मीम को लेकर समाज में गुस्सा बढ़ा और पंचायत ने इसे 'सम्मान का मुद्दा' बना लिया। परिणामस्वरूप, पंचायत ने मीम शेयर करने वाले युवक को बुलाकर सामाजिक दंड सुनाया और उसे सार्वजनिक रूप से नीचा दिखाने का फरमान जारी कर दिया।
गिरफ़्तारी नहीं, जांच अधिकारी तैनात
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद भारी विरोध शुरू हो गया। कांग्रेस ने इस घटना की निंदा करते हुए राज्य सरकार पर निशाना साधा और पुलिस व प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की। वहीं, पीड़ित परिवार ने कहा कि वे डर के कारण शिकायत दर्ज नहीं कर पाए। प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पटेरा थाना प्रभारी को जांच अधिकारी बनाया है। जिला पुलिस अधीक्षक (SP) ने स्पष्ट किया है कि पूरी घटना की जांच करवाई जाएगी और दोषियों के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सोशल मीडिया, मानवाधिकार और पंचायत प्रथा पर सवाल
यह मामला सिर्फ एक घटित घटना नहीं है, बल्कि पंचायत प्रथा और सोशल मीडिया की शक्ति को जोड़ता है। जहां एक ओर पंचायतों का सार्वजनिक नियंत्रण स्तरीय अन्याय को जन्म दे सकता है, वहीं मौजूदा दौर में व्यक्ति की अभिव्यक्ति की आज़ादी, मानव गरिमा और संवैधानिक अधिकारों की सीमाएँ और उनका संरक्षण नया प्रश्न बन जाते हैं। ग्राम सतरिया की इस घटना ने एक चेतावनी भेजी है कि लोकतंत्र सिर्फ वोट देने तक सीमित नहीं है—वह व्यक्तिगत मान सम्मान और न्याय की भावना से भी जुड़ा है।
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