धूल-धुँआ का मानव जीवन पर कहर, 2022 में वायु प्रदूषण से 17 लाख भारतीयों की मौत; लैंसेट रिपोर्ट में खुलासा

धूल-धुँआ का मानव जीवन पर कहर, 2022 में वायु प्रदूषण से 17 लाख भारतीयों की मौत; लैंसेट रिपोर्ट में खुलासा

Air Pollution In India:लैंसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज की 2025 रिपोर्ट ने एक बार फिर वायु प्रदूषण के भयावह रूप को उजागर किया है। साल 2022 में भारत में वायु प्रदूषण से जुड़ी 17 लाख से ज्यादा मौतें हुईं, जो 2010 के मुकाबले 38% की भयानक वृद्धि दर्शाती हैं। लेकिन यह आंकड़ा पुराना हो चुका है। नवीनतम अध्ययनों के अनुसार, 2023 में यह संख्या 20 लाख तक पहुंच गई, जबकि वैश्विक स्तर पर वायु प्रदूषण हर साल 81 लाख मौतों का कारण बन रहा है। यह महामारी से भी बड़ा संकट है, जो न केवल फेफड़ों को चुपचाप नष्ट कर रहा है, बल्कि हृदय रोग, डायबिटीज और यहां तक कि डिमेंशिया जैसी बीमारियों को भी बढ़ावा दे रहा है।

वायु प्रदूषण का खतरनाक चेहरा

लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में PM2.5 (बारीक कणीय प्रदूषण) से हर साल लगभग 17.2 लाख मौतें हो रही हैं। यह संख्या वैश्विक मौतों का 26% है, जो भारत को इस संकट का एपिसेंटर बनाती है। स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SoGA) 2025 रिपोर्ट, जो हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (HEI) और इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) द्वारा जारी की गई, ने 2023 के आंकड़ों को और भयावह बताया। भारत में वायु प्रदूषण से 20 लाख मौतें हुईं, जिनमें 89% गैर-संक्रामक रोगों (NCDs) से जुड़ी थीं।  हृदय रोग से 25%, फेफड़ों के कैंसर से 33%, COPD (क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) से 70%, और डायबिटीज से 20% मौतें प्रदूषण से प्रेरित हैं।

दिल्ली जैसे शहरों में यह संकट और गहरा है। IHME के विश्लेषण से पता चलता है कि 2023 में दिल्ली में PM2.5 से 17,188 मौतें हुईं, जो कुल मौतों का 15% है – हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज से भी ज्यादा। तो वहीं, उत्तर भारत के इंडो-गंगा मैदान में भौगोलिक कारणों से प्रदूषण फंस जाता है, जबकि फसल अवशेष जलाना, उद्योग और वाहन उत्सर्जन इसे बढ़ाते हैं।

मौतों का सबसे बड़ा दोषी

रिपोर्ट्स से ययह साफ है कि जीवाश्म ईंधन इस संकट के पीछे का मुख्य खलनायक हैं। लैंसेट के अनुसार, भारत में 44% मौतें (लगभग 7.52 लाख) कोयला और अन्य जीवाश्म ईंधनों से जुड़ी हैं। सड़क परिवहन में पेट्रोल का उपयोग 2.69 लाख मौतों का कारण है। घरेलू स्तर पर बायोमास (लकड़ी, गोबर) जलाने से ग्रामीण क्षेत्रों में 125 प्रति लाख मौतें हो रही हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 99 हैं।

इसके अलावा वैश्विक स्तर पर, 2021 में 81 लाख मौतों में 90%NCDs से जुड़ी थीं। बच्चों पर असर सबसे घातक है: 5 साल से कम उम्र के 7 लाख बच्चों की मौतें प्रदूषण से हुईं, जिनमें 5 लाख घरेलू प्रदूषण से। पूर्वी एशिया में शॉर्ट-टर्म एक्सपोजर से हर साल 10 लाख मौतें हो रही हैं। 

GDP का 9.5% नुकसान

2022 में आउटडोर प्रदूषण से भारत को 339.4 अरब डॉलर (लगभग 30 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ, जो GDP का 9.5% है। वैश्विक स्तर पर, प्रदूषण से 4.84 ट्रिलियन डॉलर का घाटा हुआ, जो 4.7% GDP के बराबर है। 2024 में हीटवेव्स से भारत ने 247 अरब लेबर आवर्स खोए, जिससे 194 अरब डॉलर की आय प्रभावित हुई।  

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