फेफड़ों के मरीज हो जाए सावधान! दिल्ली की जहरीली हवा पर डॉक्टर का अलर्ट, कहा - तुरंत छोड़ दें शहर नहीं तो...

फेफड़ों के मरीज हो जाए सावधान! दिल्ली की जहरीली हवा पर डॉक्टर का अलर्ट, कहा - तुरंत छोड़ दें शहर नहीं तो...

Delhi Air Pollution: राजधानी दिल्ली-NCR में एक बार फिर प्रदूषण का कहर छाया हुआ है। दिवाली के बाद धुंध की यह घनी परत से दृश्यता कम हो रही है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी घातक साबित हो रहा है। पूर्व अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने इसे 'सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति' करार दिया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि आपके फेफड़े कमजोर हैं, तो तुरंत दिल्ली छोड़ दें। उनके अनुसार, यह जहरीली हवा न केवल श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि हृदय रोग, मधुमेह और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों को भी बढ़ावा दे रही है।

'बहुत खराब' से 'गंभीर' स्तर पर AQI

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, 03नवंबर की सुबह दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 380के आसपास पहुंच गया, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है। कुछ इलाकों जैसे आनंद विहार और रोहिणी में यह 400से ऊपर हो गया, जो 'गंभीर' स्तर का संकेत देता है। बता दें,फसल अवशेष जलाने, वाहनों के धुएं, निर्माण कार्य और मौसमी कारकों के चलते यह स्थिति बनी हुई है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले कुछ दिनों तक हवा में PM2.5और PM10के कणों का स्तर ऊंचा रहेगा, जो फेफड़ों की बारीक परतों को सीधे प्रभावित करते हैं।

इसी बीच, डॉ. गुलेरिया ने हालिया साक्षात्कार में कहा 'यह हवा एक रासायनिक कॉकटेल है, जो सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे विषैले गैसों से भरी हुई है। यहां तक कि 'ग्रीन पटाखे' भी महीन धूल और गैसें छोड़ते हैं, जो नमी के साथ मिलकर स्मॉग बनाते हैं।' उन्होंने जोर देकर कहा कि यह प्रदूषण कोविड-19से भी अधिक घातक हो सकता है, क्योंकि 2021में विश्व स्तर पर 80लाख मौतें केवल हवा की खराबी से हुईं।

स्वास्थ्यपर पड़ेगा असर

डॉ. गुलेरिया के अनुसार, यह प्रदूषण केवल अस्थमा या क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) वाले लोगों तक सीमित नहीं है। स्वस्थ व्यक्ति भी छाती में जकड़न, गले में खराश, सांस लेने में तकलीफ और लगातार खांसी जैसी शिकायतें महसूस कर रहे हैं।

  1. बच्चों पर प्रभाव:फेफड़ों का विकास 20वर्ष की उम्र तक होता है, लेकिन प्रदूषित हवा इस विकास को रोकती है। AIIMS के अध्ययनों से पता चला है कि दिल्ली के बच्चों के फेफड़ों की क्षमता दक्षिण भारत के बच्चों से 30%कम है। लंबे समय तक एक्सपोजर से अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है।
  2. बुजुर्गों और हृदय रोगियों के लिए:हृदय रोग, मधुमेह या फेफड़ों की पुरानी बीमारियों वाले लोगों में सांस फूलना, थकान और खांसी बढ़ रही है। प्रदूषण रक्त वाहिकाओं में सूजन पैदा करता है, जिससे हार्ट अटैक का जोखिम दोगुना हो जाता है।
  3. लंबे समय के खतरे:यह हवा मस्तिष्क, किडनी और इम्यून सिस्टम को भी प्रभावित करती है, जिससे डिमेंशिया, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं और मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसी बीमारियां हो सकती हैं। डॉ. गुलेरिया ने कहा 'अब 50% COPD केस प्रदूषण से जुड़े हैं, जबकि पहले यह धूम्रपान का मामला था। फेफड़ों के कैंसर में भी 40%मामले गैर-धूम्रपान करने वालों में दिख रहे हैं।'

कैसे करें बचाव?

डॉ. गुलेरिया ने सख्ती से कहा कि अगर संभव हो, तो कमजोर फेफड़ों वाले व्यक्ति 6-8सप्ताह के लिए शहर छोड़ दें। इसके अलावा निम्न कदम उठाएं:

  1. मास्क का उपयोग -N95मास्क पहनें, खासकर सुबह-शाम के समय।
  2. आउटडोर गतिविधियां सीमित -बच्चों की खेलकूद दोपहर तक ही रखें; व्यायाम इंडोर करें।
  3. हाइड्रेशन और डाइट -ज्यादा पानी पिएं; ताजे फल-सब्जियां खाएं। स्टीम लेना फायदेमंद।
  4. दवाओं का अपडेट -अस्थमा या COPD वाले अपनी दवाओं की डोज बढ़ाएं; जरूरत पर नेबुलाइजर इस्तेमाल करें।
  5. घरेलू सुरक्षा -एयर प्यूरीफायर चालू रखें, कमरे बंद रखें; धूम्रपान और इंदौर प्रदूषण से बचें।

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