दिल्लीवासियों पर महंगाई की मार, बिजली की कीमतें में वृद्धि को सुप्रीम कोर्ट की शर्तों के साथ मंजूरी

दिल्लीवासियों पर महंगाई की मार, बिजली की कीमतें में वृद्धि को सुप्रीम कोर्ट की शर्तों के साथ मंजूरी

Delhi Electricity: देश की राजधानी दिल्ली में बिजली उपभोक्ताओं पर जल्द ही महंगे बिजली बिल का बम फटने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली बिजली नियामक आयोग (DERC) को बिजली की दरों में बढ़ोतरी की अनुमति दी है। लेकिन इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण शर्तें भी तय की हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बिजली की कीमतों में वृद्धि उचित और किफायती होनी चाहिए, ताकि उपभोक्ताओं पर अनावश्यक बोझ न पड़े।

बिजली दरों पर SC का फैसला

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दिल्ली बिजली नियामक आयोग को एक स्पष्ट रोडमैप तैयार करना होगा। जिसमें यह बताया जाए कि बिजली की दरें कब, कैसे और कितनी बढ़ेंगी। कोर्ट ने जोर दिया कि यह बढ़ोतरी सभी प्रकार के उपभोक्ताओं जैसे घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक पर लागू होगी। लेकिन इसी के साथ यह सुनिश्चित करना होगा कि नई दरें DERC द्वारा निर्धारित सीमाओं से अधिक न हों। कोर्ट ने यह भी कहा कि बिजली कंपनियों के बकाये को जमा होने से रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। क्योंकि लंबे समय तक लटके बकाये उपभोक्ताओं पर ही बोझ डालते हैं।

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने बिजली वितरण कंपनियों के लंबित नियामक परिसंपत्तियों (Regulatory Assets) को चार साल के अंदर समाप्त करने का निर्देश दिया है। बता दें, दिल्ली में ये बकाया पिछले 17 सालों से जमा हैं और अब यह राशि 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। कोर्ट ने इस स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि ऐसी देरी उपभोक्ताओं के लिए अनुचित है।

बिजली दरों में बढ़ोतरी का कारण

मालूम हो कि यह मामला बिजली वितरण कंपनियों जैसे BSES यमुना पावर, BSES राजधानी, और टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड द्वारा दायर याचिकाओं से जुड़ा है। इन कंपनियों ने बिजली खरीद की बढ़ती लागत और लंबित बकायों का हवाला देते हुए दरों में वृद्धि की मांग की थी। कोयले और गैस की कीमतों में वृद्धि, साथ ही आयातित कोयले पर निर्भरता, ने बिजली उत्पादन की लागत को बढ़ा दिया है। जिस वजह से बिजली वितरण कंपनियों को पावर परचेज एडजस्टमेंट कॉस्ट (PPAC) के तहत अतिरिक्त शुल्क वसूलने की अनुमति दी गई है।

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