
Putin India Visit: चीन ने सोमवार, 8 दिसंबर को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे को लेकर बयान दिया। चीन ने कहा कि भारत, रूस और चीन ग्लोबल साउथ के जरूरी सदस्य हैं। उन्होंने ये भी कहा कि तीनों देशों के बीच मजबूत संबंध न केवल उनके अपने राष्ट्रीय हित में हैं, बल्कि ये क्षेत्रीय और वैश्विक शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए भी फायदेमंद हैं।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकु ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि भारत, रूस और चीन उभरती अर्थव्यवस्थाएं हैं और ग्लोबल साउथ के जरूरी सदस्य हैं। तीनों देशों के बीच अच्छे संबंध बनाए रखना न केवल उनके हित में है, बल्कि पूरे क्षेत्र और विश्व के लिए शांति और समृद्धि लाने में मदद करता है।
द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने की तैयारी
गुओ जियाकु ने कहा कि पुतिन का दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि बीजिंग और मॉस्को के बीच मजबूत संबंध हैं। उन्होंने कहा कि चीन रूस और भारत के साथ मिलकर द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए तैयार है। पुतिन ने भारत दौरे से पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि भारत और चीन हमारे सबसे करीबी मित्र हैं और हम इस रिश्ते को बहुत महत्व देते हैं।
दोनों देशों के लोगों को मिलेगा फायदा
भारत और चीन के संबंधों के बारे में गुओ जियाकु ने कहा कि बीजिंग चाहता है कि दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक और मजबूत संबंध बने। उन्होंने कहा कि चीन भारत के साथ रणनीतिक दृष्टिकोण से संबंधों को संभालना चाहता है। हमारा उद्देश्य है कि दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत, स्थिर और टिकाऊ हो, जिससे दोनों देशों और उनके लोगों को फायदा मिले और एशिया में शांति और समृद्धि बढ़े।
पुतिन ने भारत-चीन संबंधों पर भी अपनी राय दी और कहा कि दोनों देशों की नेतृत्व टीम अपने मुद्दों का समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध है और रूस को उनके द्विपक्षीय मामलों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है।
चीनी की मीडिया ने कही ये बात
चीनी मीडिया शिन्हुआ न्यूज एजेंसी ने उनके बयान को प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने भारत के रूसी तेल खरीद पर अमेरिकी आरोपों को खारिज किया। चीन खुद रूस के तेल और गैस का सबसे बड़ा खरीदार है और उसने अमेरिका के आग्रह को ठुकरा दिया कि रूस पर पाबंदी लगाई जाए।
पुतिन का भारत दौरा
पुतिन 4 से 5 दिसंबर को भारत आए। ये उनका 2021 के बाद पहला दौरा था। इस दौरान दोनों देशों ने व्यापार और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए। साथ ही 2030 तक व्यापार को 100 अरब डॉलर तक बढ़ाने के लिए आर्थिक सहयोग कार्यक्रम भी तैयार किया गया। इस दौरे से भारत, रूस और चीन के बीच रणनीतिक और आर्थिक सहयोग को मजबूत करने की उम्मीद है और इसे एशिया और वैश्विक स्तर पर स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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