खाने को पैसे नहीं, लेकिन एटीट्यूड सातवें आसमान पर! पाकिस्तान में मजदूरों से भी बदतर महिला खिलाड़ीयों का हाल

खाने को पैसे नहीं, लेकिन एटीट्यूड सातवें आसमान पर! पाकिस्तान में मजदूरों से भी बदतर महिला खिलाड़ीयों का हाल

India Pakistan Woman Match: रविवार को हुए आईसीसी महिला वनडे वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान की टीमें आमने-सामने रहीं, और एक बार फिर जीत भारत की झोली में गई। लेकिन हार से ज्यादा सुर्खियों में पाकिस्तानी महिला क्रिकेटर्स का मैदान पर किया गया ड्रामा रहा। सोशल मीडिया पर पाक टीम की खिलाड़‍ियों के बर्ताव के वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं। जहां एक ओर मैच में हार ने पाकिस्तान को झटका दिया, वहीं दूसरी ओर इस बहाने महिला क्रिकेट की जमीनी हकीकत भी चर्चा में आ गई है।

PAKमें महिला क्रिकेटर्स की संख्या कम

पाकिस्तान में महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने की कोशिशें तो हो रही हैं, लेकिन परिणाम अभी भी सीमित हैं। 2022 में जब पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) ने छह क्रिकेट एसोसिएशनों में ट्रायल्स का आयोजन किया, तो पूरे देश से सिर्फ 1,118 लड़कियां ही सामने आईं। इसमें भी सबसे ज्यादा खिलाड़ी सेंट्रल पंजाब (287) और ख़ैबर पख्तूनख्वा (250) से थीं। बाकी क्षेत्रों से बेहद सीमित संख्या में लड़कियां सामने आईं। यह दिखाता है कि देश में महिला क्रिकेट को लेकर अभी भी जागरूकता और समर्थन की भारी कमी है।

महिला खिलाड़ी की सैलरी में भेदभाव

Cricexec की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान की महिला क्रिकेटर्स को PCB द्वारा दी जाने वाली सैलरी देश की न्यूनतम मजदूरी से भी कम है। 2024-25 सीजन में महिला घरेलू खिलाड़ियों को सिर्फ 35,000 पाकिस्तानी रुपये मासिक रिटेनर मिल रहा है, जबकि न्यूनतम वेतन 37,000 रुपये है। मैच फीस मात्र 20,000 रुपये है और डेली अलाउंस नहीं मिलता। वहीं पुरुष क्रिकेटर्स को उसी PCB से लाखों रुपये मिलते हैं।

बजट आगे बढ़ने की राह में कई अड़चनें

हाल ही में PCB ने महिला खिलाड़ियों की संख्या 16 से बढ़ाकर 24 कर दी और बजट में मामूली इजाफा कर कुल बजट 1.11 करोड़ रुपये कर दिया गया। हालांकि टीम में जो खिलाड़ी हैं, वे अक्सर अच्छी पारिवारिक पृष्ठभूमि से आती हैं और पीसीबी की सैलरी पर पूरी तरह निर्भर नहीं होतीं। इनमें से कुछ क्रिकेटर खेल से जुड़े परिवारों से हैं, तो कुछ मध्यमवर्गीय परिवारों से। लेकिन देशभर में क्रिकेट को लेकर महिलाओं का रुझान और अवसर अभी भी बेहद सीमित हैं।

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