नई दिल्ली:अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में बढ़ोतरी से रुपया फिरसे ऑल टाइम लो पर है। गुरूवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 51 पैसे टूटकर अब अपने सबसे निचले स्तर 80.47 पर आ गया है। वहीं डॉलर 20 साल के हाई लेवल पर पहुंच गया है। हालांकि बाद में इसमें मामूली तेजी देखने को मिली। डॉलर के मुकाबले रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिरने से क्रूड ऑयल और अन्य कमोडिटी का आयात महंगा हो जाएगा। इससे महंगाई और बढ़ जाएगी।
बढ़ सकती है महंगाई
वहीं अब रुपये में लगातार गिरावट देखते हुए लग रहा है कि भारतिय रिजर्व बैंक (RBI) में अपने रेपो रेट में इजाफा कर सकता है। हालांकि कि यह अभी स्पष्ट नहीं हैकि भारतीय रिजर्व बैंक ऐसा करेगा या नहीं।अगर आरबीआई (RBI)ऐसा करता है तो भारतीय बाजार में महंगाई बढ़ना तय है। फेडरल रिजर्व की तरफ से पिछले दिनों एक बार फिर ब्याकज दर में बढ़ाने से भारतीय रुपये पर दबाव बना है। व्यापार घाटा बढ़ने और विदेशी पूंजी निकासी के कारण महंगाई बढ़ने की आशंका है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक इसी हफ्ते होनी है।
व्यापार घाटा दोगुना
वही मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, मिल मालिकों के संगठन सॉलवेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने बताया कि डॉलर के मजबूत होने से आयातित खाद्य तेलों की लागत बढ़ जाएगी। इसका असर ग्राहकों पर ही पड़ेगा। क्रूड का आयात बढ़ने से अगस्त महीने में व्यापार घाटा दोगुने से ज्यादा होकर 27.98 अरब डॉलर पहुंच गया है।
आम आदमी पर कैसे होगा असर?
रुपये के डॉलर के मुकाबले सबसे निचले स्तर पर जाने का सीधा असर आम आदमी पर पड़ेगा। इसका सबसे ज्यादा असर आयातित चीजों पर दिखाई देगा। भारत में आयात होने वाली चीजों के दाम में बढ़ोतरी होगी। देश में 80 प्रतिशत कच्चा तेल आयात होता है, यानी इससे भारत को कच्चे तेल के लिए आधिक कीमत चुकानी पड़ेगी और विदेशी मुद्रा ज्यादा खर्च होगी।
महीने दर महीने की गिरावट
01 जनवरी 75.43
01 फरवरी 74.39
01 मार्च 74.96
01 अप्रैल 76.21
01 मई 76.09
01 जून 77.21
01 जुलाई 77.95
01 अगस्त 79.54
29 अगस्त 80.10
22 सितंबर 80.79
26 सितंबर 81.54
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