
Why Landslide Is Responsible For Tsunami: जम्मू-कश्मीर के माता वैष्णो देवी यात्रा मार्ग के अर्धकुंवारी क्षेत्र में भयानक भूस्खलन ने तबाही मचा दी है। इस हादसे में 30 से अधिक लोगों की जान चली गई है, जबकि कई यात्री अलग-अलग स्थानों पर फंसे हुए हैं। भारी बारिश और खराब मौसम के कारण यह आपदा और गंभीर हो गई है। माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने यात्रियों को फिलहाल यात्रा स्थगित करने की सलाह दी है, क्योंकि लगातार बारिश ने स्थिति को और जटिल कर दिया है। बचावकर्मी राहत और बचाव कार्य में दिन-रात जुटे हैं, लेकिन पहाड़ी इलाकों में मौसम की मार ने चुनौतियां बढ़ा दी हैं। यह स्थिति केवल जम्मू तक सीमित नहीं है, बल्कि हिमाचल और उत्तराखंड जैसे अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में भी भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है।
भूस्खलन से सुनामी का खतरा
क्या भूस्खलन से सुनामी जैसी आपदा भी आ सकती है? विशेषज्ञों के अनुसार, समुद्र के पास या उसके भीतर होने वाले बड़े भूस्खलन विशाल लहरें पैदा कर सकते हैं। समुद्री भूकंप सुनामी का प्रमुख कारण होते हैं, जब पानी के नीचे धरती की परतें खिसकती हैं, लेकिन ज्वालामुखी विस्फोट या भूस्खलन भी ऐसी तबाही ला सकते हैं। जब भारी मात्रा में मिट्टी या चट्टानें तेजी से पानी में गिरती हैं, तो पानी विस्थापित होकर विशाल लहरों का रूप ले लेता है। कैनरी आइलैंड्स के शोध बताते हैं कि वहां हुए ऐतिहासिक ज्वालामुखी भूस्खलनों ने सुनामी पैदा की थी, और भविष्य में भी ऐसी घटनाएं हजारों किलोमीटर दूर तक नुकसान पहुंचा सकती हैं।
इतिहास की सबसे बड़ी सुनामी लहर
भूस्खलन से सुनामी का सबसे भयावह उदाहरण 1958 में अलास्का की लिटुआ खाड़ी में देखा गया। 7.9 तीव्रता के भूकंप से शुरू हुआ भूस्खलन समुद्र में गिरा, जिससे 524 मीटर ऊंची सुनामी लहर उठी, जो अब तक की सबसे ऊंची दर्ज लहर है। इसकी 30 मीटर ऊंची लहरों ने दो मछुआरों की नौकाओं को डुबो दिया और दो लोगों की जान ले ली। ग्लेशियर बे नेशनल पार्क जैसे क्षेत्रों में भी छोटे भूस्खलनों से सुनामी का खतरा देखा गया है। बिहार या जम्मू जैसे अंतर्देशीय क्षेत्रों में सुनामी का खतरा नहीं है, लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की रोकथाम के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।
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