EXPLAINER: क्या 2047 तक PM MODI का सपना होगा पूरा! जानें विकसित बनाने के लिए भारत को क्या-क्या करना होगा हासिल

EXPLAINER: क्या 2047 तक PM MODI का सपना होगा पूरा! जानें विकसित बनाने के लिए भारत को क्या-क्या करना होगा हासिल

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्र के नाम अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में पांच प्रतिज्ञाओं (पंच प्राण) को सूचीबद्ध किया, जो सभी नागरिकों को 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए देश के स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को पूरा करने के लिए लेना चाहिए।ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से बोलते हुए, पीएम मोदी ने कहा, भारत को 25 वर्षों में एक विकसित राष्ट्र बनना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, "मैं देश के युवाओं से देश के विकास के लिए अपने जीवन के अगले 25 साल समर्पित करने का आग्रह करता हूं। हम पूरी मानवता के विकास की दिशा में काम करेंगे।"

आपको बता दे कि, वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, जिन देशों की प्रति व्यक्ति आय 1,046 डॉलर से कम होती है, वो लो-इनकम कंट्रीज होती हैं। जबकि, जहां प्रति व्यक्ति आय 1,046 डॉलर से 4,095 डॉलर के बीच होती है, उन्हें लोअर मिडिल इनकम कंट्रीज कहा जाता है। इसी तरह 4,096 डॉलर से 12,695 डॉलर के बीच प्रति व्यक्ति आय वाले देशों को अपर मिडिल इनकम और 12,695 डॉलर से ज्यादा की आय वालों को हाई इनकम कंट्रीज कहा जाता है। 2021 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 2,170 डॉलर रही थी। इसलिए भारत को लोअर मिडिल इनकम कंट्रीज कहा जाता है।

विकसित बनाने के लिए भारत को क्या-क्या करना होगा अचीव

GDP

किसी भी देश की आर्थिक सेहत कैसी है? इसका पता ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी जीडीपी से लगाया जाता है। इस समय दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, 2021 में अमेरिका की जीडीपी करीब 23 ट्रिलियन डॉलर थी. दूसरे नंबर पर चीन है, जिसकी जीडीपी लगभग 18 ट्रिलियन डॉलर है। सबसे ज्यादा जीडीपी के मामले में भारत अभी दुनिया में 7वें नंबर पर है। वर्ल्ड बैंक के आंकड़े बताते हैं कि 2021 में भारत की जीडीपी 3.17 ट्रिलियन डॉलर रही थी। यानी, अभी अमेरिका और भारत की जीडीपी में लगभग 20 ट्रिलियन डॉलर का अंतर है।

औद्योगिकीकरण

विकसित देश को मापने का एक पैमाना इंडस्ट्रियलाइजेशन भी है। माना जाता है कि जिस देश में जितना ज्यादा इंडस्ट्रियलाइजेशन होगा, वो उतना विकसित होगा। क्योंकि, इंडस्ट्रियलाइजेशन से न सिर्फ रोजगार बढ़ता है, बल्कि किसी देश का इम्पोर्ट (Import) घटता है और एक्सपोर्ट (Export) बढ़ता है। अभी भारत का आयात ज्यादा है और निर्यात कम है। मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स इंडस्ट्रीज के मुताबिक, 2021-22 में भारत का एक्सपोर्ट 31.47 लाख करोड़ और इम्पोर्ट 45.72 लाख करोड़ रुपये का रहा था। इस हिसाब से भारत इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट में 14.25 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का अंतर था। जबकि, 2020-21 में ये अंतर 7.56 लाख करोड़ रुपये का था।

भारत में इंडस्ट्रियलाइजेशन कम होने से ग्लोबल एक्सपोर्ट में इसकी हिस्सेदारी काफी कम है। वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक, 2020 में ग्लोबल एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी महज 3.6% थी, जबकि चीन का हिस्सा 34% से ज्यादा था।

बुनियादी जरूरतें

कोई देश विकसित तब होता है, जब वहां के लोगों को बुनियादी जरूरतें पूरी हों। वहां के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा, बेहतर शिक्षा और अच्छा रहन-सहन मिले। इसे आंकने के लिए संयुक्त राष्ट्र ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स की रैंकिंग जारी करता है।

कोई देश कितना विकसित है, इसे ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स से भी मापा जाता है। इस इंडेक्स में देशों को 0 से 1 के स्केल पर मापा जाता है। जितना ज्यादा स्कोर होता है, वहां अच्छी स्वास्थ्य सुविधा, बेहतर शिक्षा और लोगों का रहन-सहन उतना अच्छा माना जाता है। 2019 में इस इंडेक्स में 189 देशों में भारत की रैंकिंग 131वें नंबर पर थी। 2019 में भारत का स्कोर 0.645 रहा था। उस साल इस इंडेक्स में सबसे ऊपर नॉर्वे रहा था। वहीं, अमेरिका 17वें और चीन 85वें नंबर पर था।

गरीबी

इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) की एक रिपोर्ट बताती है कि विकसित और विकासशील देशों में सबसे बड़ा अंतर वहां की गरीबी है। वर्ल्ड बैंक ने गरीबी रेखा की परिभाषा तय की है। इसके मुताबिक, अगर हर दिन कोई व्यक्ति 2.15 डॉलर (170 रुपये के आसपास) से कम कमा रहा है, तो वो 'बेहद गरीब' माना जाएगा।

भारत में गरीबी रेखा की अलग परिभाषा है। ये परिभाषा तेंदुलकर कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर तय की गई थी। इसके मुताबिक, अगर गांव में रहने वाला एक व्यक्ति हर दिन 26 रुपये और शहर में रहने वाला व्यक्ति 32 रुपये खर्च कर रहा है, तो वो गरीबी रेखा से नीचे नहीं माना जाएगा। गरीबी रेखा के सरकारी आंकड़े 2011-12 के हैं। उसके मुताबिक, भारत की लगभग 22% आबादी यानी 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। हालांकि, वर्ल्ड बैंक की अप्रैल में रिपोर्ट आई थी, जिसमें अनुमान लगाया गया था कि भारत में गरीबी कम हुई है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, भारत में 2011 में 22.5% आबादी गरीब थी, जो 2019 में घटकर 10.2% हो गई। यानी, 8 साल में भारत में 12 फीसदी गरीबी घट गई।

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