भारत के इस राज्य में स्थित है मिनी स्विट्जरलैंड, गांव की नदी को मिला स्पेशल दर्जा

भारत के इस राज्य में स्थित है मिनी स्विट्जरलैंड, गांव की नदी को मिला स्पेशल दर्जा

Ajab-gajab: दुनियाभर में कई देश ऐसे है जो पर्यावरण में फैल रहे प्रदूषण की समस्या से परेशान है हालांकि इस समस्या का समाधान के लिए कई प्रकार के अभियान चलाए जाते है। वहीं भारत की बात करें तो देश में भी लोग इससे परेशान है जिसका सबसे ज्यादा असर राजधानी दिल्ली में देखने को मिलता है कई बार तो प्रदूषण इतना फैल जाता है कि लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है, लेकिन भारत में ही एक ऐसा गांव है जिसे एशिया का सबसे साफ-सुथरा गांव का दर्जा मिला हुआ है।

भारत का सबसे साफ-सुथरा गांव

दरअसल मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग से 90किमी दूर भारत-बांग्लादेश सीमा के पास मॉलिन्नॉन्ग नाम का एक गांव है जिसे लोग मिनी स्विट्जरलैंड भी कहते हैं। ये गांव इतना साफ है कि यहां पर आप लोगों को कचरे के नाम पर एक छोटा-सा कागज का भी टूकड़ा नहीं मिलेगा। इतना ही नहीं यहां डौकी नाम की नदी है। इसमें गंदगी का एक कण तक नजर नहीं आता।

गांव में स्थित है दुनिया की सबसे साफ नदी

 नदी का पानी इतना साफ है कि आप देखकर हैरान हो जाएंगे। नदीं में कई फीट नीचे पड़े हुए पत्थर भी एकदम साफ नजर आते हैं। इसे दुनिया की सबसे साफ नदी में गिना जाता है। अब बात करें ये गांव कैसे मिनी स्विट्जरलैंड बना तो 15साल पहले यानी साल 1988में मॉलिन्नॉन्ग गांव में महामारी फैली थी। यह बीमारी हर सीजन में फैलने लगी। सबसे ज्यादा बच्चे ही इस बीमारी से त्रस्त थे।

इस बीमारी के कारण गांव बना मिनी स्विट्जरलैंड

कई स्कूली बच्चों की बीमारी की वजह से जान भी चली गई। वहीं स्कूल के एक टीचर ने इन सबसे त्रस्त होकर बीमारी के खिलाफ लड़ने का प्रण लिया। उन्होंने गांव के लोगों को साफ सफाई और शिक्षा के लिए जागरुक करना शुरू किया। अभियान चलाने के लिए एक समिति का भी गठन किया। समिति ने कुछ सख्त नियम बनाए। जैसे- ग्रामीणों से पशुओं को बांधकर रखने के लिए गया, सड़क पर गंदगी न करने और घर पर ही शौचालय बनाने की प्रेरणा दी गई।

बीमारी को रोकने के लिए उठाए बड़ा कदम

कचरे को एक बांस के बॉक्स में रखकर रिसाइकिल किया जाने लगा। इसके अलावा प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया। यहां थूक नहीं सकते, स्मोकिंग नहीं कर सकते। खास बात ये है कि मॉलिन्नॉन्ग गांव के लोगों ने इन नियमों को गंभीरत से लिया। हालांकि इस नियमो की पालना ना करने पर जुर्माना भी लगाया जाता था। इसी का परिणाम है कि मॉलिन्नॉन्ग आज एशिया का सबसे स्वच्छ गांव है।

गांव का हर नागरिक अपने की सफाई करने के अलावा घर के बाहर की सड़क की भी सफाई की जिम्मेदारी लेता है। यहां अगर कोई व्यक्ति सफाई में शामिल नहीं होता है तो उसे खाना नहीं मिलता है।

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