दिल्ली सरकार का ऐतिहासिक फैसला, अब नॉन कंफर्मिंग एरिया के निजी स्कूलों को भी मिलेगी मान्यता

दिल्ली सरकार का ऐतिहासिक फैसला, अब नॉन कंफर्मिंग एरिया के निजी स्कूलों को भी मिलेगी मान्यता

Delhi News: दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने शुक्रवार को घोषणा की कि दिल्ली सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए नॉन कंफर्मिंग एरिया में चल रहे गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को मान्यता देने का फैसला किया है। यह फैसला उन स्कूलों के लिए बड़ा राहत भरा कदम है जो वर्षों से बिना मान्यता के चल रहे थे।

शिक्षा निदेशालय का ऑनलाइन पोर्टल 1नवंबर 2025से खुल जाएगा, जहां स्कूल 30नवंबर तक आवेदन कर सकेंगे। सभी प्राप्त आवेदनों की छटनी कर उन संस्थानों की सूची जारी की जाएगी जो मान्यता के सभी मापदंडों को पूरा करते हैं। इस कदम से हजारों छात्रों के संवैधानिक शिक्षा अधिकार को पुनर्स्थापित किया जाएगा।

भेदभाव खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम

मंत्री सूद ने कहा कि यह मुद्दा पिछले एक दशक से फाइलों में दबा हुआ था। पिछली सरकारों ने कुछ स्कूलों को मनमाने तरीके से मान्यता दी, जबकि कई स्कूलों को नज़रअंदाज़ कर दिया गया। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में हमने इस भेदभाव का अंत किया है। यह केवल प्रशासनिक सुधार नहीं बल्कि शिक्षा के लोकतंत्रीकरण की दिशा में सच्चा कदम है।”

यह नीति संविधान के अनुच्छेद 21-ए और शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009के पूर्ण अनुपालन को सुनिश्चित करती है। सूद ने बताया कि पिछली बार मान्यता अभियान 2013में चला था, जिसमें चुनिंदा स्कूलों को ही मंजूरी मिली थी। अब प्रक्रिया पारदर्शी, न्यायसंगत और जवाबदेह तरीके से की जाएगी, ताकि किसी भी बच्चे को शिक्षा से वंचित न रहना पड़े।

500 नए स्कूल आएंगे शिक्षा निदेशालय के दायरे में

इस निर्णय से करीब 500स्कूल अब शिक्षा निदेशालय (DoE) के अधिकार क्षेत्र में आ जाएंगे। इससे वैधता, निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित होगी। हर साल लगभग 2लाख आवेदन EWS/DG/CWSN श्रेणी के तहत आते हैं, जिनमें से कई स्कूलों की कमी के कारण खाली रह जाते हैं। नई नीति से लगभग 20,000नई सीटें जुड़ेंगी, जिससे अधिक बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी।

सरकार ने स्पष्ट किया कि मान्यता प्राप्त करने के लिए बुनियादी ढांचा, सुरक्षा, शिक्षक योग्यता और शुल्क पारदर्शिता जैसे मापदंडों का पालन अनिवार्य है। साथ ही अभिभावकों से अपील की गई कि वे अपने बच्चों का प्रवेश केवल मान्यता प्राप्त स्कूलों में ही कराएं। सरकार ने आश्वासन दिया कि इस प्रक्रिया से किसी भी छात्र की पढ़ाई बाधित नहीं होगी, बल्कि यह निर्णय दिल्ली में शिक्षा की गुणवत्ता और समानता को नई दिशा देगा।

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