
मातृभूमि और अनवर जैसी गंभीर और संवेदनशील फिल्में बना चुके निर्देशक मनीष झा इस बार रोमांटिक कॉमेडी फिल्म द लीजेंड ऑफ़ माइकल मिश्रा को लेकर आए हैं। फिल्म की कहानी किडनैपर(माइकल) की है (अदिति) जो प्यार में नेक और ईमानदार इंसान बनने का फैसला लेता है।ऐसी कहानियां नयी नहीं है।
फिल्म की कहानी में एक ट्विस्ट भी है लेकिन वह भी इस फिल्म की कहानी को उबाऊ बनने से रोक नहीं पता है। फिल्म की कहानी और उसका ट्रीटमेंट पूरी तरह से निराश करता है।
फिल्म की पृष्ठभूमि बिहार है। फिल्म में हर दूसरे मिनट में बिहार और पटना का जिक्र है लेकिन इसके बावजूद फिल्म में वह आंचलिक खुशबु महसूस नहीं होती है।
फिल्म के निर्देशक मनीष झा बिहार से आते हैं लेकिन फिल्म को देखते हुए यही बात अखरती है। फिल्म की डीटेलिंग पर इस बारे में क्यों सतही तौर पर काम हुआ है। अभिनय की बात करें तो अरशद और बोमन ईरानी को इस विधा में महारत हासिल है लेकिन इस बार वह पूरी तरह से चूकते नज़र आते हैं शायद फिल्म की कहानी और उसके संवाद उन्हें ज़्यादा मौके नहीं दे पाते हैं।
केयोज और अदिति राव हैदरी परदे पर अच्छे रहे हैं। उनसे ज़्यादा की उम्मीद भी जो नहीं थी। कॉमेडी फिल्मों की सबसे बड़ी ज़रूरत अच्छे संवाद होते हैं लेकिन यह फिल्म इस मामले में भी डिब्बा गोल है। फिल्म का गीत संगीत और दूसरे पक्ष औसत हैं। कुलमिलाकर यह रोमांटिक कॉमेडी फिल्म मनोरंजन करने में पूरी तरह से चूकती है।
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