
साल 1998 के चिंकारा शिकार मामले में जोधपुर हाई कोर्ट सोमवार को फैसला सुना सकता है। सलमान की निगरानी याचिका पर यह फैसला होना है कि सेशन कोर्ट की पांच साल कैद की सजा बरकरार रहेगी या फिर अभिनेता को संदेह का लाभ मिलेगा। केस की सुनवाई के दौरान ऐसी पांच बातें सामने आई हैं, जिस पर अदालत ने गंभीरता दिखाते हुए सलमान को बरी किया है। पुलिस को उम्मेद भवन में सलमान के कमरे की तलाशी में बंदूक की गोलियां मिली थीं। जबकि जिप्सी में मिले छर्रे, उन गोलियों के नहीं थे। पुलिस ने हिरण का गला रेतने वाला कथित चाकू बरामद किया था, लेकिन यह पॉकेट चाकू है, जिससे गला रेतना मुश्किल होता है। वन विभाग ने सलमान खान की जिप्सी जब्त कर तलाशी ली। इसकी सर्च रिपोर्ट में सिर्फ खून के धब्बे मिले। बाद में पुलिस ने भी जिप्सी की तलाशी ली। उन्हें जिप्सी में छर्रे, हिरण के बाल मिले, लेकिन वन विभाग को ये चीजें तलाशी में नहीं मिले। इस तरह दोनों सर्च रिपोर्ट भी अलग-अलग हो गई। भवाद और घोड़ा फार्म हाउस के मुकदमों में सलमान के साथ 12 आरोपी थे। इनमें से 10 को संदेह का लाभ मिला। कोर्ट के सामने कुछ ऐसे सवाल हैं, जिन पर गौर किया जाए तो सलमान को संदेह का लाभ मिल सकता है। मुंबई का रहने वाला शिकार के लिए कैसे उम्मेद पैलेस से निकला? कैसे पता चला कि हिरण यहां मिलेंगे? कोई तो उसे ले गया होगा? जब दूसरे बरी हो गए तो सलमान अब तक आरोपी क्यों हैं?
वन अधिकारी ललित बोड़ा ने दवा व्यापारी अरूण के ड्राइवर हरीश दुलानी के बयान पर शिकार के मुकदमे दर्ज करवाए थे। वन विभाग ने मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान करवा कर उसे छोड़ा था, जबकि डिफेंस की ओर से उसका क्रॉस वेरिफिकेशन ही नहीं हुआ. वह इसके बाद से ही गायब हो गया। रकार ने सलमान खान की एक साल की सजा को कम माना। अभिनेता की सजा बढ़ाने और गोरधन सिंह को फिर से आरोपी मानने के लिए दो अपीलें की गई। ऐसे में सवाल ये है कि सरकार ने दूसरे 11 लोग जो बरी हो चुके, उन्हें गोरधन की तरह फिर से आरोपी बनाने की अपील क्यों नहीं की? प्रोसिक्यूशन के पास इसका ठोस जवाब नहीं था
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