
हिंदी और मराठी सिनेमा, रंगमंच और टेलीविजन की दिग्गज अभिनेत्री और निर्देशक सुलभा देशपांडे का यहां शनिवार को निधन हो गया। वह 80 वर्ष की थीं। उन्हें हिंदी और मराठी में रंगमंच पर अभिनय के लिए 1987 संगीत नाटक अकादमी के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। दादर के छबीलदास उच्च विद्यालय में एक टीचर के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाली सुलभा का नाटकों से तब लगाव शुरू हुआ था, जब उन्होंने 1950 के दशक में मशहूर लेखक-निर्देशक विजय तेंदुलकर को स्कूली छात्रों के लिए कुछ नाटक लिखने को कहा था। तेंदुलकर, विजय मेहता, श्रीराम लागू और अरविंद देशपांडे ने 1960 और 1970 के दशक में प्रायोगिक नाटक अभियान शुरू किया था। बाद में सुलभा भी इस अभियान से जुड़ गई थीं और अरविंद देशपांडे से शादी कर ली थी।
इतने सालों में सुलभा ने मुख्यतौर पर मराठी और हिंदी फिल्मों में मां, दादी या कुटिल सास के किरदार निभाए थे। इसके अलावा उन्होंने कई टीवी धारावाहिकों और मराठी नाटकों में भी प्रमुख भूमिकाएं निभाईं। उनकी प्रमुख फिल्मों में भूमिका, गमन, अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है, विजेता, विरासत और इंग्लिश विंग्लिश शामिल हैं। मंच पर उन्होंने शांता! कोर्ट चालू आहे और सखाराम बिंदर समेत कई मराठी नाटकों में काम किया था। छोटे पर्दे पर वह तन्हा, बदलते रिश्ते और मिसेज तेंदुलकर जैसे कई धारावाहिकों में नजर आई थीं। वर्ष 1971 में अरविंद और सुलभा ने एक नाटक समूह अविष्कार और बच्चों के लिए चंद्रशाला भी शुरू किया था। बॉलीवुड, टेलीविजन और मंच के कलाकारों, निर्देशकों और उनके सह-कलाकारों ने उनके निधन पर शोक जताया है।
Leave a comment