
प्रख्याडत फिल्म अभिनेता मनोज कुमार को हिंदी सिनेमा का सबसे बड़ा सम्मान दादा साहेब फाल्के दिया जाएगा। फिल्मों में उनके अहम योगदान को देखते हुए जूरी मेंबर्स लता मंगेशकर, आशा भोंसले, सलीम खान, नितिन मुकेश और अनूप जलोटा ने 47वें दादा साहेब अवॉर्ड के लिए मनोज कुमार का नाम सुझाया है। इसके बाद सूचना और प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने उनसे बात की और अवॉर्ड के लिए बधाई दी। दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड के तहत मनोज कुमार को स्वर्ण कमल के साथ-साथ 10 लाख रुपये की राशि और शॉल दी जाएगी। 79 साल के मनोज कुमार ने कई सुपरहिट फिल्में दी है। उन्होंने शहीद, हरियाली और रास्ता, हिमालय की गोद में, उपकार, पूरब और पश्चिम, रोटी कपड़ा और मकान और क्रांति जैसी सुपरहिट फ़िल्में दीं। उन्हें देशभक्ति फिल्मों के कारण भारत कुमार के नाम से भी जाना जाता है।
कुमार ने उपकार के साथ अपनी निर्देशकीय पारी की शुरुआत की। इस फिल्म के बारे में कहा जाता है कि यह तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के चर्चित नारे जय जवान जय किसान से प्रेरित था। पूरब और पश्चिम, रोटी कपडा और मकान और क्रांति सहित कई फिल्मों में वह देशभक्ति के रंग में डूबे हुए नजर आए। क्रांति में उन्हें अपने आदर्श दिलीप कुमार के साथ काम करने का मौका मिला। क्रांति के बाद उनका करियर ग्राफ गिरने लगा। वर्ष 1995 में मैदान ए जंग में दिखने के बाद उन्होंने अभिनय को अलविदा कह दिया और अपने बेटे कुणाल गोस्वामी को लांच करने के लिए 1999 में फिल्म जय हिंद के निर्देशन की कमान संभाली लेकिन टिकट खिडकी पर यह फिल्म नहीं चल पायी। अभिनेता को उपकार के लिए राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड मिला और 1992 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री से नवाजा। अभिनेता अनुपम खेर, निर्देशक मधुर भंडारकर ने अवार्ड मिलने पर उन्हें मुबारकबाद दी है।
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