क्या Congress के 'कमल' चुनेंगे नया 'नाथ'? BJP के इस खेला का Congress पर पड़ेगा कितना असर?

क्या Congress के 'कमल' चुनेंगे नया 'नाथ'? BJP के इस खेला का Congress पर पड़ेगा कितना असर?

Madhya Pradesh Politics: ‘कांग्रेस में मैं एकमात्र कमल हूं…’, ये बयान था कांग्रेस के कद्दावर नेता का। लेकिन शायद अब उस कमल ने अपना नया नाथ चुन लिया है। इतने में तो आज समझ ही गए होंगे की मैं किसकी बात कर रही हूं। मैं बात कर रही हूं कमलनाथ की। दरअसल, मध्य प्रदेश की सियासत में इस वक्त काफी हलचल है। कयास लगाए जा रहे हैं कि कमलनाथ कांग्रेस का हाथ छोड़ बीजेपी के कमल को और खिला सकते हैं।

करीब 56 साल से राजनीति में सक्रिय कमलनाथ को इंदिरा गांधी का तीसरा बेटा कहा जाता है। पहली बार कांग्रेस ने साल 1980 में कमलनाथ को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से टिकट दिया था। उस समय उनके लिए प्रचार करने खुद इंदिरा गांधी पहुंची थीं। अपने चुनावी भाषण में उन्होंने ये तक कहा था कि आप लोग कांग्रेस के नेता कमलनाथ को नहीं, मेरे तीसरे बेटे कमलनाथ को वोट दीजिए। तब लोग यहां तक कहने लगे थे कि इंदिरा गांधी के दो हाथ संजय गांधी और कमलनाथ। सातवीं लोकसभा के लिए पहली बार छिंदवाड़ा से सांसद बनने के बाद कमलनाथ ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। ये क्षेत्र कमलनाथ का गढ़ माना जाता है। ऐसे में ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि कमलनाथ कांग्रेस के लिए कितने अहम हैं।

कमलनाथ ने निभाई थी अहम भूमिका

साल 2004 में जब सोनिया गांधी ने भाजपा से मुकाबला करने के लिए गठबंधन बनाने की कोशिशें शुरू कीं थी को उसमें भी कमलनाथ ने खासी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने ही द्रमुक तक कांग्रेस की बात पहुंचाई और उन्हीं की बदौलत गोविंदा जैसे फिल्मी सितारे कांग्रेस में शामिल हुए। इसके अलावा भाजपा में कमलनाथ के आने से राज्य में कांघ्रेस काफी कमजोर हो जाएगी। क्योंकि फिर राज्य के पास कोई बड़ा लोकल नेता नहीं रह जाएगा। हिंदुत्व को लेकर गलत बयानबाजी के चलते दिग्विजय सिंह हिंदुओं के बीच मजबूत छाप छोड़ने में असफल रहे हैं तो वहीं  ज्योतिरादित्य सिंधिया पहले ही बीजेपी का दामन थाम चुके हैं।

लगेगा बड़ा आर्थिक झटका

यही नहीं कमलनाथ के बीजेपी में आने से कांग्रेस को बड़ा आर्थिक झटका लगेगा। क्योंकि कमलनाथ को कांग्रेस के लिए फंड जुटाने वाला बड़ा सोर्स माना जाता है। रियल इस्टेट, एविशन, प्लांटेशन से लेकर हॉस्पिटैलिटी तक के क्षेत्र में उनका कारोबार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर फैला है। वो आईएमटी गाजियाबाद के निदेशक हैं तो लगभग 23 कंपनियों के बोर्ड में भी शामिल हैं। ऐसे में कमलनाथ के बीजेपी से जुड़ने में उसे सीधा फायदा हो सकता है तो कांग्रेस को नुकसान...अब ये देखने वाली बात होगी कि कमलनाथ क्या फैसला लेते हैं।

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