THAILAND DEATH RAILWAY:क्या आप लोगों ने अपनी जीवन में कभी डेथ रेलवे के बारे मे सुना है अगर नहीं तो आपको बता दें कि दुनिया में एक रेलवे स्टेशन है जिसको डेथ रेलवे के नाम से जाना जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि डेथ का मतलब है मौत होती है तो जरूर यहां किसी की मौत हुई होगी इसलिए इसका नाम डेथ रेलवे रखा गया है। हां अगर आप ये सोच रहे है तो आप कुछ हद तक ठीक है कुछ हद तक ठीक का मतलब है कि यहां डेथ तो हुआ है लेकिन एक नहीं लाखों लोगों की । जी हां इस रेलवे स्टेशन को बनाने में करीबन 1 लाख 20 हजार लोगों की डेथ हुई है इसलिए इस रेलवे स्टेशन का नाम ये रखा गया है तो चलिए आज हम आपको इस हादसे के बारे में बताते है।
1 लाख 20 हजार मजदूरों की मौत
दरअसल दुनिया के इतिहास के पन्नों पर यह हादसा लिखा हुआ है। इस हादसे से 1 लाख 20 हजार लोगों की मौत हो गई थी। अब अचानक इतने लोगों की मौत के बारे में सुनकर आपको हैरनी तो होगी लेकिन इस हादसे से दुनिया में क्या हुआ होगा इसका अंदाजा आप लगा सकते है। जिस रेलवे स्टेशन की बात कर रहे है उसकी लंबाई 415 किमी है जो थाईलैंड और बर्मा के रंगून को जोड़ती है। बताया जाता है कि जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान साल 1942 में थाईलैंड और बर्मा को जोड़ने के लिए इस रेलवे लाइन को बनाने का फैसला किया था। युद्ध के बाद के इस रेलवे लाइन की मरम्मत की गई और इस पर ट्रेन सेवा शुरू की गई। वर्तमान समय में कंचनबुरी के उत्तर में नाम टोक तक इस रेल रूट पर ट्रेन चलती है। इस रूट का सबसे फेमस और भयावह क्वाई नदी पर बनाया गया पुल है।
वहीं थाईलैंड में नोंग प्लाडुक और बर्मा में थानबुयाजत के बीच इस रेलवे लाइन को बानने का निर्णय लिया गया जिसकी लंबाई करीब 415 किमी थी। साल 1942 में रेलवे लाइन को बनाने का काम शुरू किया गया जिसका कार्य 15 महीने में पूरा हुआ। थाईलैंड, चीन, इंडोनेशिया, बर्मा, मलेशिया और सिंगापुर समेत एशियाई देशों के एक लाख 80 हजार और मित्र देशों के 60 हजार कैदियों को इस रेलवे लाइन को बनाने के लिए लगाया गया था। रेलवे लाइन बनाने वाले लोगों के साथ जापानी सेना ने क्रूर व्यवहार किया था। वहीं एक लाख 20 हजार मजदूरों में 16 हजार लोगों की अलग-अलग बीमारियों से मौत हुई थी।
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