
Yashasvi Jaiswal Got Emotional: भारतीय क्रिकेट टीम के युवा सितारे यशस्वी जायसवाल की सफलता की कहानी सिर्फ उनके बल्ले की नहीं, बल्कि उनके परिवार के अटूट समर्थन और त्याग की है। हाल ही में 'एजेंडा आजतक 2025' में एक इंटरव्यू के दौरान यशस्वी ने अपनी जिंदगी के उन पलों को याद करते हुए भावुक हो गए, जब उनके भाई ने उनके लिए अपना क्रिकेट छोड़ दिया और पिता ने उन्हें बुरे वक्त में संभाला।
बड़े भाई के त्याग को कभी नहीं भूल सकता
बता दें, उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के सुरियावां गांव में जन्मे यशस्वी का बचपन गरीबी और चुनौतियों से भरा था। यशस्वी और उनके बड़े भाई तेजस्वी जायसवाल दोनों ने साथ में क्रिकेट खेलना शुरू किया। लेकिन परिवार की आर्थिक तंगी ने सब कुछ बदल दिया। यशस्वी बताते है कि 2013में जब परिवार मुश्किल दौर से गुजर रहा था, तेजस्वी ने क्रिकेट छोड़ने का फैसला लिया। उन्होंने दिल्ली जाकर सेल्समैन की नौकरी की, ताकि परिवार को सहारा मिल सके और यशस्वी मुंबई में अपना क्रिकेट जारी रख सकें। तो वहीं, तेजस्वी इसे त्याग नहीं बल्कि जिम्मेदारी मानते हैं। उन्हें हमेशा इस बात का विश्वास था कि यशस्वी एक दिन जरूर सपल होंगे और परिवार का नाम रोशन करेंगे और हुआ भी ऐसा ही।
यशस्वी ने इंटरव्यू में कहा कि उनके भाई ने उनकी सफलता के लिए अपना सपना छोड़ दिया। आज दोनों भाई घर पर फिटनेस और बैटिंग पर चर्चा करते हैं और यशस्वी तेजस्वी की वापसी में उनका साथ दे रहे हैं। हाल ही में, 06दिसंबर को सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में तेजस्वी ने त्रिपुरा के लिए अपना पहला टी20अर्धशतक (51रन) बनाया और उसी दिन यशस्वी ने अपना पहला वनडे शतक लगाया। यशस्वी ने उन्हें फोन कर बधाई दी और कहा 'अवसर का मजा लो।'
बुरे वक्त में पिता ने संभाला
यशस्वी ने इंटरव्यू में आगे बताया कि उनके पिता भूपेंद्र जायसवाल सुरियावां में एक पेंट की छोटी दुकान चलाते हैं। उन्होंने ही यशस्वी को क्रिकेट सिखाया और हमेशा प्रोत्साहित किया। लेकिन जब भी वह निराश महसूस करते, तब पिता कहते 'क्या मुश्किल है? अपना काम तो है ही, क्या मुश्किल होगा।' उनके पिता हमेशा परिवार को सकारात्मक रखते और कहते कि दुकान है, चिंता मत करो, बस खेल पर फोकस करो। यशस्वी बताते है कि जब पहली भारतीय टीम में उनका चयन हुआ था, तब उनके पिता भावुक हो गए थे।
पुराने पलों को याद करते हुए भावुक
एजेंडा आजतक 2025' में यशस्वी इन यादों को साझा करते हुए भावुक हो गए क्योंकि वे जानते हैं कि बिना परिवार के यह सफर संभव नहीं था। उन्होंने कहा कि भाई का समर्थन और पिता की हिम्मत ने उन्हें यहां तक पहुंचाया। आज यशस्वी भारतीय टीम के स्टार हैं, लेकिन वे अपने रूट्स को नहीं भूलते। तेजस्वी की वापसी और हालिया परफॉर्मेंस ने इस कहानी को और खूबसूरत बना दिया है।
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