
Chhath Puja Vrat Rules:छठपूजाका महापर्व देवऔरछठीमाईयाकोसमर्पितहै, जो शुद्धता, अनुशासन और भक्ति का प्रतीक है। 2025 में यह पर्व 25 अक्टूबर से शुरू होकर 28 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। पहला दिन नहाय-खाय (25 अक्टूबर), दूसरा खरना (26 अक्टूबर), तीसरा संध्या अर्घ्य (27 अक्टूबर) और चौथा उषा अर्घ्य व परन (28 अक्टूबर)। इस दौरान सुहागन महिलाएं 36 घंटे का व्रतभी रखती हैं। जो विशेष रूप से सूर्य उपासना करती हैं, ताकि परिवार की सुख-समृद्धि बनी रहे। लेकिन पूजा की पूरी श्रद्धा के बावजूद कुछ सामान्य गलतियां व्रत का फल अधूरा कर सकती हैं। शास्त्रीय नियमों और परंपराओं के अनुसार, यहां 7 ऐसी बड़ी गलतियों का जिक्र है, जिनसे बचना चाहिए। ये नियम व्रत की पवित्रता बनाए रखने के लिए हैं।
1. नॉन-वेज, प्याज-लहसुन या पैकेज्ड फूड का सेवनना करें
छठ व्रत में शुद्ध सात्विक भोजन ही अनुमत है। नॉन-वेज, प्याज, लहसुन, तले-भुने या बाहर का पैकेज्ड/स्टेल फूड बिल्कुल वर्जित है। व्रती के अलावा परिवार के अन्य सदस्यों को भी इनसे परहेज करना चाहिए। ऐसा करने से व्रत की पवित्रता भंग हो जाती है और सूर्य देव की कृपा प्रभावित होती है। इसके बजायफल, दूध, चावल और गुड़ जैसे शुद्ध आहार लें।
2. पूजासेपहले प्रसादकोछूनायाचखना
ठेकुआ, खीर, फल या अन्य प्रसाद को देवताओं को अर्घ्य देने से पहले चखना या हाथ लगाना बड़ी भूल है। प्रसाद को पवित्र मानकर पहले सूर्य देव और छठी माईया को समर्पित करें। खरना के दिन खीर-रोटी को नए चूल्हे पर बनाएं और केवल पूजा के बाद ही ग्रहण करें। इससे पूजा का फल पूरा मिलता है, अन्यथा भक्ति व्यर्थ हो सकती है।
3. गंदे हाथों से पूजा सामग्री छूना या अस्वच्छ वातावरण में पूजा
पूजा से पहले घर, रसोई और घाट को गोबर या प्राकृतिक सामग्री से साफ करें। गंदे हाथों से ठेकुआ, डलिया या अन्य सामग्री न छुएं। व्रती को नहा-धोकर ही पूजा करें और साफ-सुथरे सूती वस्त्र पहनें। गंदगी या अस्वच्छता से व्रत की शुद्धि नष्ट हो जाती है, जो पूजा को अपूर्ण बनाती है।
4. 36 घंटेकानिर्जलाव्रतपूरानकरना
खरना के बाद शुरू होने वाला 36 घंटे का निर्जला व्रत (बिना जल-भोजन) संध्या और उषा अर्घ्य तक कड़ाई से निभाना जरूरी है। बीच में पानी या भोजन लेना या व्रत अधूरा छोड़ना छठी माईया को अपमानजनक माना जाता है। इससे परिवार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और पूजा का उद्देश्य विफल हो जाता है।
5. गंदे कपड़े पहननाया नकारात्मक विचार रखना
व्रती को हल्के रंगों के सूती या पारंपरिक साफ वस्त्र ही पहनने चाहिए। सिन्थेटिक, गंदे या भारी कपड़े वर्जित हैं। साथ ही, नकारात्मक विचार, गुस्सा या झगड़े से दूर रहें। नहाय-खाय के दिन से ही मन को शांत रखें। इससे व्रत की ऊर्जा बनी रहती है, वरना भक्ति का फल कम हो जाता है।
6. पूजामें प्लास्टिक या सिंथेटिक सामग्री का यूज
छठ पूजा प्रकृति पूजा है, इसलिए डलिया, दीया, सजावट सब प्राकृतिक हों। प्लास्टिक, थर्मोकोल या सिंथेटिक वस्तुओं का इस्तेमाल न करें। बांस की डलिया, मिट्टी के दीये और मौसमी फल-तरबूज, गन्ना आदि ही लें। आधुनिक सामग्री से पूजा की पारंपरिक शुद्धता भंग होती है, जो फल को प्रभावित करती है।
7. परंपरागत गीतों के बजाय फिल्मी संगीत बजाना
छठ महत्सव में भजन, लोकगीत और छठ गीतों का महत्व है। तेज, फिल्मी या पार्टी संगीत से बचें, क्योंकि यह शांति भंग करता है। पारंपरिक ढोल-मंजीरा के साथ भक्ति गीत गाएं। इससे समुदाय की एकता बढ़ती है और पूजा का आध्यात्मिक प्रभाव पूर्ण होता है।
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