राहगीर ने बताया 'आदमी भूतिया है' गाने की कहानी, शेरदिल की रिलीज से पहले ही हिट हो गया था गाना

राहगीर ने बताया 'आदमी भूतिया है' गाने की कहानी, शेरदिल की रिलीज से पहले ही हिट हो गया था गाना

नई दिल्लीआपने सोशल मीडिया पर 'आदमी C*#%&@है' गाने के अनोखे बोल तो सुना ही होगा। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि इस गाने को क्या सोचकर इस गाने के बोल लिखे होंगे। यह गाना पिछले दिनों पंकज त्रिपाठी की अपकमिंग फिल्म में एक नए नाम के साथथ देखने को मीला। यह गाना रातों रात सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। लोग इस गाने पर इंस्टा रील्स बना रहे है। लोगों को यह गाना पसंद भी आ रहा है,लेकिन कुछ लोग इस गाने को लेकर सवाल भी पुछ रहे आखिर इस गाने को लिखने की वजह क्या रही होगी। अब इस गाने को लिखने की जो भी वजह रही हो,लेकिन यह गाना अब हीट है।

आपको बता दे कि, इस गाने के लेखक और गायक का नाम 'राहगीर' है। राहगीर म्यूज़िक इंडस्ट्री में इसी नाम से जाने जाते है। उनका असली नाम सुनील कुमार गुर्जर है। राहगीर इस गाने के फिल्म में इस्तेमाल करने पिछे की वजह बताते हैं कि मुझे मेल पर फिल्म के डायरेक्टर सृजित मुखर्जी ने अप्रोच किया था। उन्होंने अपना नंबर लिखते हुए कहा कि तुम्हारे एक गाने को लेकर बातचीत करनी है, बताओ कैसे कनेक्ट किया जाए। मैंने उन्हें फौरन कॉल किया और उन्होंने बताया कि मेरा गाना 'आदमी C*#%&@है' उनकी फिल्म की थीम पर फिट बैठ रहा है। बात यहां से आगे बढ़ी। मैं राजस्थान से मुंबई पहुंचा और मेरे गाने को रिकॉर्ड किया गया। इस मौके पर पंकज त्रिपाठी भी पहुंचे थे। वहां उनसे मुलाकात हुई और काफी देर तक हमारी बात भी हुई।        

राहगीर ने इस गाने को दो बार रिकॉर्ड किया। एक बार पूरा हुबहू गाया और दूसरी बार आपत्तिजनक शब्द को भूतिया से रिप्लेस कर दिया। इसके पीछे डायरेक्टर की मंशा थी कि जहां वो मूल शब्द का इस्तेमाल सेंसर की वजह से नहीं कर सकते, वहां भूतिया ही रखेंगे। वहीं ओटीटी पर जब फिल्म आएगी, तो वहां उसे ओरिजनल गाने की तरह ही लिया जाएगा। अपने गाने के बारे में राहगीर कहते हैं, इस गाने को मैंने 2018 में रिकॉर्ड किया था। डर था कि कहीं लोग इसके लिए गालियां न देने लगें। चार-पांच महीने तक तो इसे ऐसे ही रखा। फिर सोचा, जो होगा, देखा जाएगा। यह गाना सालभर तक ऐसे ही पड़ा रहा, तीन से चार हजार व्यूज ही रहे होंगे। उसके बाद रील्स में अचानक से पॉपुलर हो गया। रिलीज के एक साल बाद इस गाने का व्यू 63 लाख पहुंच गया।

गाने के आइडिया पर राहगीर बताते हैं कि मैं पेशे से इंजीनियर हूं। पुणे में 9 to 5 जॉब करता था। एक दिन वैलेंटाइनंस डे के मौके पर रास्ते से गुजर रहा था। रोड किनारे जो ठेले लगते हैं, वहां गुलदस्ते मिल रहे थे। कोई एक लड़का वहां आता है, और दुकानदार से कहता है कि भाई ताजे-ताजे फूलों वाला दो। उसी वक्त मेरे दिमाग में यह लाइन क्लिक किया कि यार कैसा बंदा है, फूलों की लाशों में ताजगी चाह रहा है। उसी वक्त मैंने इस सिचुएशन पर शेर लिखा था। फिर वक्त निकालकर उसे पूरा किया, तब जाकर नेचर को डेडिकेट करते हुए मैंने इस गाने को लिखा और गाया।

अपनी जर्नी के बारे में राहगीर बताते हैं कि 2016 में मैंने इंजीनियरिंग से ब्रेक लिया और वापस घर आ गया। बहुत बेचैन था क्योंकि कहीं मन ही नहीं लगता था। मैं फिर रोड ट्रिप पर निकल गया। मेरे साथ बैकपैक और बस मेरा गिटार था। मैंने सड़कों पर ट्रक, ऑटो से लिफ्ट मांगी बदले में उनको गाना सुनाया। वो कहते हैं कि मैं हर दिन नई जगहों पर होता था। गांवों, स्कूलों में पहुंचकर लोगों के बीच गाना गाता था। उनसे रिक्वेस्ट करता था कि मेरा गाना सुनें और बदले में मैं कुछ नहीं लूंगा। इस तरह से मैंने लगभग तीन साल गुजारे हैं। मुझे लगा कि शायद यही जिंदगी है, रोजाना नए किस्से, नई मुलाकातें, नया शहर, इन सब एक्स्पीरियंस ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है।

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