Rabies Risk: क्या है रेबीज, किन जानवरों के काटने पर होती है ये बीमारी, जानें इसका इलाज

Rabies Risk: क्या है रेबीज, किन जानवरों के काटने पर होती है ये बीमारी, जानें इसका इलाज

Rabies Risk: वैसे तो आपने कई संक्रमित बीमारियों के बारे में सुना होगा जो जानवरों से फैलती है। इन्हीं में से एक खतरनाक कही जाने वाली बीमारी है रेबीज की बीमारीइतनी खतरनाक है कि इससे मरीज की जान तक जा सकती है। रेबीज जैसी जानलेवा बीमारी की रोकथाम और इसके लिए जनता को जागरुक करने के उद्देश्य से हर साल 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है। रेबीज के बारे में बात की जाएं तो ये कुछ जानवरों के काटने से होता है। जब संक्रमित जानवर किसी व्यक्ति को काटते हैं तो उनकी लार व्यक्ति के खून में मिल जाती है जिससे रेबीज के कीटाणु उस शख्स के शरीर में चले जाते हैं। आपको बता दें कि भारत में ही हर साल रेबीज के चलते 20 हजार लोगों की मौत हो जाती है।

कैसे होती है रेबीज की बीमारी?

रेबीज की बीमारी संक्रमित जानवर के काटने से फैलती है, ये बीमारी कुत्ते, बंदर और बिल्लियों के काटने से फैलती और इन संक्रमित जानवरों की लार में पाए जाने वाले कीटाणु खून में मिलकर संक्रमण फैलाते हैं। हालांकि, आजकल पालतू जानवरों को रेबीज की वेक्सीन लगने लगी है लेकिन आवारा पशुओं को रेबीज की वेक्सीन नहीं लग पाती और इसीलिए ये संक्रमित होकर रेबीज की बीमारी का शिकार हो जाते है।  

रेबीज बीमारी के लक्षण

रेबीज से संक्रमित जानवर अगर किसी इंसान को काट ले तो इसके  लक्षण एक से तीन महीने के अंदर दिखने लगते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में ये लक्षण 10 दिनों के बाद भी दिखने लगते हैं और कुछ मामलो में 8 महीने बाद भी इसके लक्षण लोगों में दिखने लगते है। इन लक्षणों में सिर में दर्द, बुखार,बदन में दर्द,जी मिचलाना, थकान, बेचैनी, नींद ना आना और लगातार चक्कर आना शामिल हैं। अगर इसके लक्षणों के प्रति लापरवाही की जाएं तो रेबीज इस कदर गंभीर रुप ले सकती है और कई मामलों में तो मरीज की मौत भी हो जाती है।

रेबीज का इलाज 

रेबीज का कोई इलाज नहीं है, लेकिन अगर इस बीमारी के होने से पहले जरूरी सावधानियां और इलाज लिया जाए तो इससे बचा जा सकता है। संक्रमित जानवर के काटने के तुरंत बाद घाव को साफ किया जाना चाहिए। व्यक्ति को एंटी रेबीज सीरम की एक खुराक मिलनी भी जरूरी है। ये सीरम घोड़ों या मनुष्यों से प्राप्त होती है।

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