ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश-ए-मोहम्मद की नई साजिश, महिलाओं को बना रहा आतंक का नया हथियार

ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश-ए-मोहम्मद की नई साजिश, महिलाओं को बना रहा आतंक का नया हथियार

JeM Strategy:  भारत की सैन्य कार्रवाई 'ऑपरेशन सिंदूर' ने पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद (JeM) को गहरी चोट पहुंचाई थी, लेकिन अब यह आतंकी संगठन नई रणनीतियों के साथ एक बार फिर उबरने की कोशिश कर रहा है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, JeM ने पहली बार अपनी महिलाओं की ब्रिगेड 'जमात-उल-मोमिनात' (बिश्वासी महिलाओं की कम्युनिटी) का गठन किया है, जो धार्मिक सुधार के नाम पर और ब्रेनवॉश कर के महिलाओं को कट्टर बनाने, भर्ती करने और मनोवैज्ञानिक युद्ध चलाने का काम करेगी। साथ ही, जेईएम अपना नेटवर्क पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (केएपीके) प्रांत तक फैला रहा है, डिजिटल वॉलेट्स के जरिए फंडिंग जुटा रहा है।

महिलाओं की ब्रिगेड

ऑपरेशन सिंदूर के पांच महीने बाद, 08अक्टूबर 2025से JeM ने बहावलपुर के 'मरकज उस्मान-ओ-अली' में महिलाओं की ब्रिगेड की भर्ती शुरू की। इसका नाम 'जमात-उल-मोमिनात' रखा गया है, जो इस्लामिक रिफॉर्म और नैतिकता के नाम पर काम करेगी। संगठन का प्रचार सर्कुलर मक्का-मदीना की तस्वीरों और कुरान की आयतों से सजा है, जो भावुक अपील के साथ महिलाओं को 'उम्माह की सुधार' के लिए बुलाता है।

यह ब्रिगेड मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर के नेतृत्व में चलेगी, जिनके पति यूसुफ अजहर को ऑपरेशन सिंदूर में मार दिया गया था। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, यह ब्रिगेड मनोवैज्ञानिक युद्ध (साइकोलॉजिकल वारफेयर) का हथियार बनेगी। इसमें महिलाओं को रिक्रूटर, मैसेज कूरियर और फंड कलेक्टर के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि पुरुष सदस्यों को जोखिम से बचाया जा सके। लक्ष्य हैं कमांडरों की पत्नियां, आर्थिक रूप से कमजोर महिलाएं और शिक्षित शहरी मुस्लिम महिलाएं।

पहले लड़ाकू भूमिका से दूर थीं महिलाएं

पहले JeM जैसी देओबंदी विचारधारा वाली ग्रुप्स (जैसे एलईटी, हिजबुल) महिलाओं को लड़ाकू भूमिका से दूर रखती थीं, लेकिन आईएसआईएस, बोको हराम और हमास जैसे संगठनों की तर्ज पर अब जेईएम भी महिला सुसाइड बॉम्बर्स की ट्रेनिंग पर विचार कर रहा है। भर्ती का फोकस जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और दक्षिण भारत पर है, जहां एन्क्रिप्टेड सोशल मीडिया, व्हाट्सएप ग्रुप्स और मदरसों के जरिए प्रचार हो रहा है। सर्कुलर में 13रबी-उल-सानी (8अक्टूबर 2025) का जिक्र है, जो मार्कज-लेवल मीटिंग्स को कवर के रूप में इस्तेमाल करने का संकेत देता है।

डिजिटल फंडिंग और नई बेस

ऑपरेशन सिंदूर के बाद JeM ने अपना नेटवर्क छोटे समूहों में विभाजित करने की कोशिश  कर रहा है। संगठन 313 नई मस्जिदों/मार्कज का निर्माण कर रहा है, जो आतंकी हब के रूप में काम करेंगी। इसके लिए 3.91 अरब रुपये (लगभग 39 करोड़ डॉलर) की फंडिंग ड्राइव चल रही है, जो ईजीपैसा और सदापे जैसे पाकिस्तानी डिजिटल वॉलेट्स के जरिए जुटाई जा रही है। ये वॉलेट्स मसूद अजहर के परिवार से जुड़े हैं, जो हवाला और एनजीओ के माध्यम से फंड ट्रांसफर को आसान बनाते हैं। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की जुलाई 2025 रिपोर्ट में भी ऐसे डिजिटल चैनलों को आतंकी फाइनेंसिंग का खतरा बताया गया है।

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