देशभर में SIR की तारीखों का ऐलान कल , EC पहले चरण में इन राज्यों में वोटर लिस्ट रिवीजन का काम होगा शुरु

देशभर में SIR की तारीखों का ऐलान कल , EC पहले चरण में इन राज्यों में वोटर लिस्ट रिवीजन का काम होगा शुरु

ECI PC On SIR:भारत की दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नई ऊर्जा देने के लिए चुनाव आयोग कल सोमवार को शाम 4:15 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करेगा। जिसके तहत SIR की तारीखों का ऐलान किया जाएगा। ये प्रेस कॉन्फ्रेंस निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार, निर्वाचन आयुक्त सुखबीर सिंह संधु और विवेक जोशी की अगुवाई में की जाएगी।

पहले चरण में 10 से 15 राज्यों को शामिल किया जाना है, जिसमें पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुदुच्चेरी जैसे 2026 के विधानसभा चुनाव वाले राज्य प्रमुख होंगे। यह अभियान मतदाता सूचियों को सटीक, समावेशी और पारदर्शी बनाने का लक्ष्य रखता है, ताकि आने वाले चुनाव निष्पक्ष हों।

SIR क्या है?

स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) चुनाव आयोग की एक वैज्ञानिक और गहन प्रक्रिया है, जो मतदाता सूचियों में दोहराव, मृत मतदाताओं के नाम, स्थानांतरित व्यक्तियों या अयोग्य नामों को हटाने के लिए की जाती है। यह 20 वर्षों बाद पूरे देश में पहली बार हो रहा है, जो बिहार के सफल SIR (जून 2025 में शुरू) से प्रेरित है। बिहार में इस प्रक्रिया से 7.89 करोड़ से घटकर 7.42 करोड़ मतदाता रह गए, जिसमें 65 लाख नाम ड्राफ्ट में हटाए गए और 21.5 लाख नए जोड़े गए।

इस प्रक्रिया के दौरान बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर जाकर प्रत्येक मतदाता की जानकारी सत्यापित करेंगे। पुरानी SIR (ज्यादातर 2002-2004 की) को आधार मानकर वर्तमान सूची से मैचिंग होगी। इसके अलावा योग्य नागरिक फॉर्म 6 (नया नाम जोड़ना), फॉर्म 7 (नाम हटाना) या फॉर्म 8 (सुधार) भर सकते हैं। आधार को 12वें दस्तावेज के रूप में पहचान प्रमाण के लिए स्वीकार किया जाएगा। इसके बाद ड्राफ्ट सूची प्रकाशित होने के बाद 15-30 दिनों का समय दावा-अपील के लिए मिलेगा।

ECI की तैयारी

ECI ने हाल ही में दो दिवसीय मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) की बैठक (23 अक्टूबर) में सभी राज्यों की तैयारियों की समीक्षा की। CEO को निर्देश दिए गए हैं कि पुरानी और नई सूचियों का मैपिंग पूरा करें, ताकि अधिकांश मतदाताओं को फॉर्म दोबारा न भरना पड़े। बिहार मॉडल पर आधारित, यह अभियान AI और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करेगी, लेकिन पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन होगा।  

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