Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में शुक्रवार को 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 88 सीटों पर मतदान हुआ। हालांकि शाम को आए वोटिंग प्रतिशत से चुनाव को लेकर उत्साह कम हो गया। इस बार वोटिंग का रुझान पहले चरण के चुनाव से भी खराब रहा। दूसरे चरण में केवल 63.00 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जबकि 2019 में इन्हीं सीटों पर 70 प्रतिशत से अधिक लोगों ने बड़ी संख्या में मतदान किया था। इस घटते वोटिंग प्रतिशत ने सभी राजनीतिक दलों का गणित बिगाड़ दिया है।
पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 फीसदी वोट पड़े। पिछले चुनाव में भी उन सीटों पर 70 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई थी। दूसरे चरण में भी यही स्थिति रही। किसी भी राज्य में वोटिंग का आंकड़ा 80 फीसदी को पार नहीं कर सका।
कम वोटिंग से चिंतित है राजनीतिक दल और चुनाव आयोग
लोग वोट देने के लिए घरों से बाहर न निकलें, इसे लेकर राजनीतिक दलों के साथ-साथ चुनाव आयोग भी चिंतित हो गया है। खासकर हिंदी भाषी राज्यों में मतदाता मतदान को लेकर नीरस हो गए हैं। इससे पहले 2014 और 2019 में भी अच्छी संख्या में लोगों ने मतदान किया था, लेकिन इस बार मतदाताओं में वैसा उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है।
उत्तर भारत में गर्म मौसम भी है वजह!
पूरे उत्तर भारत में इन दिनों मौसम का तापमान काफी बढ़ गया है। लू और गर्म हवाओं ने लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। लोगों के वोट देने के लिए घरों से न निकलने की एक वजह यह भी बताई जा रही है। वहीं कम वोटिंग प्रतिशत को चुनाव में विपक्षी दलों की कम सक्रियता से जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं आजकल के चुनावों में फिजिकल कैंपेनिंग की जगह सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल भी वोटिंग के रुझान को कम कर रहा है।
कम मतदान से कम मार्जिन वाली सीटों पर असर
वोटिंग प्रतिशत कम होने से इसका सीधा असर कम मार्जिन वाली सीटों पर पड़ता है। 2019 में 75 सीटों पर कांटे की टक्कर थी। ऐसे में नतीजा किसी भी तरफ झुक सकता है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि कम वोटिंग से सत्ताधारी पार्टियों को फायदा हो सकता है, क्योंकि लोगों को लगता है कि सरकार अच्छा काम कर रही है और वे बदलाव नहीं चाहते। इसलिए वे वोट देने के लिए घर से नहीं निकलते।
कम वोटिंग रुझान से सरकार बदलने के आसार?
पिछले 12 चुनावों में से 5 में वोटिंग प्रतिशत घटा है और चार बार सरकार बदली है। 1980 के चुनाव में वोटिंग प्रतिशत घट गया और जनता पार्टी को हटाकर कांग्रेस ने सरकार बना ली। 1989 में वोट प्रतिशत गिरने के कारण कांग्रेस की सरकार चली गयी। केंद्र में बीपी सिंह के नेतृत्व में सरकार बनी। 1991 में भी वोटिंग में गिरावट के बाद कांग्रेस की केंद्र में वापसी हुई।हालांकि 1999 में वोटिंग प्रतिशत में गिरावट के बाद भी सत्ता में कोई बदलाव नहीं हुआ। वहीं 2004 में वोटिंग में गिरावट का फायदा एक बार फिर विपक्षी दलों को मिला।
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