Katchatheevu Controversy: क्या है कच्चातिवु द्वीप का विवाद? जिसका जिक्र कर PM मोदी ने कांग्रेस पर लगाए गंभीर आरोप

Katchatheevu Controversy: क्या है कच्चातिवु द्वीप का विवाद? जिसका जिक्र कर PM मोदी ने कांग्रेस पर लगाए गंभीर आरोप

What is Katchatheevu controversy: प्रधानमंत्री मोदी ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कच्चाथीवू द्वीप को श्रीलंका को सौंपने के फैसले को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर देश की अखंडता, एकता और भारतीय हितों को कमजोर करने का आरोप लगाया। पीएम मोदी की यह टिप्पणी एक आरटीआई आवेदन के बाद आई है जिसमें खुलासा हुआ है कि कैसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 1974 में कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था।

आपको बता दें, यह जानकारी भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के। अन्नामलई के आरटीआई (सूचना का अधिकार) आवेदन पर मिले जवाब पर आधारित है। उन्होंने पाक जलसंधि में इस द्वीप को पड़ोसी देश श्रीलंका को सौंपने के 1974 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार के फैसले को लेकर जानकारियां मांगी थी।

कच्चाथीवू द्वीप विवाद क्या है?

दरअसल, भारत और श्रीलंका के मछुआरे लंबे समय से एक-दूसरे के समुद्री इलाके में जाकर मछलियां पकड़ते थे। इस पर तब तक कोई विवाद नहीं था जब तक दोनों देशों के बीच समुद्री सीमा को लेकर कोई सहमति नहीं बन गई थी। भारत और श्रीलंका ने 1974-76 में समुद्री सीमा समझौते पर हस्ताक्षर किये। इसे लेकर दिल्ली में हुई एक बैठक में कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को देने का फैसला किया गया। समझौते के तहत, भारतीय मछुआरों को कच्चातिवु द्वीप पर मछली पकड़ने की अनुमति नहीं थी। इसके बावजूद भारतीय मछुआरे अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर मछली पकड़ने के लिए इस द्वीप पर जाते हैं और श्रीलंकाई नौसेना उन्हें गिरफ्तार कर लेती है।

तमिलनाडु का अपना दावा

कच्चाथीवू द्वीप को लेकर हुए अंतरराष्ट्रीय समझौतों पर तमिलनाडु सरकार लंबे समय से सवाल उठाती रही है। वर्ष 1974 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने श्रीलंकाई समकक्ष श्रीमावो भंडारनायके के साथ एक समझौता किया और यह द्वीप उन्हें दे दिया। इसके बाद 1991 में तमिलनाडु सरकार ने कच्चाथीवु द्वीप पर अपना दावा करने और इसे श्रीलंका से वापस लेने के लिए विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया। 2008 में तत्कालीन सीएम जयललिता ने इस द्वीप को लेकर केंद्र सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। तमिलनाडु के सीएम ने शीर्ष अदालत से द्वीप पर समझौते को खत्म करने की मांग की और फैसले को असंवैधानिक बताया।

285एकड़ में फैला हुआ है ये द्वीप

कच्चाथीवू द्वीप पाक जलडमरूमध्य में स्थित एक निर्जन द्वीप है। कहा जाता है कि यह द्वीप 14वीं शताब्दी में ज्वालामुखी विस्फोट के बाद अस्तित्व में आया था। इसके बाद 285 एकड़ क्षेत्रफल वाले इस द्वीप का प्रशासन भारत और श्रीलंका द्वारा संयुक्त रूप से किया जाने लगा। 17वीं शताब्दी में यह द्वीप मदुरै के राजा रामनाद की जमींदारी के अधीन था। जब भारत आज़ाद हुआ तो सरकारी दस्तावेज़ों में इसे भारत का हिस्सा घोषित कर दिया गया। हालाँकि, उस समय भी श्रीलंका इस पर अपना अधिकार जताता रहा।

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