UCC पर सीएम धामी का बड़ा बयान, बताया- राज्य में कानून कब होगा लागू?

UCC पर सीएम धामी का बड़ा बयान, बताया- राज्य में कानून कब होगा लागू?

uniform-civil-code-in-uttarakhand: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर से अपना बयान दिया है, जिससे आने वाले दिनों में राजनीतिक सियासत गरमा सकती हैं। सीएम धामी ने कहा, कि समान नागरिक संहिता को राज्य में जल्द लागू करना सरकार का संकल्प है। इसका ड्राफ्ट मिलने के बाद इसी साल प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि सिविल कोड को लेकर राज्य की जनता ने हमारी प्रशंसा की थी।

जब हमें यूसीसी ड्राफ्ट मिल जाएगा। तो हम इस प्रक्रिया को इस साल आगे बढ़ाएंगे। हम समान नागरिक बिल को राज्य में जल्द से जल्द लागू करेंगे। मतलब है कि धामी सरकार ने समान नागरिक संहिता तैयार करने के लिए मार्च 2022 में कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने आम लोगों से उनकी प्रतिक्रिया और सुझाव मांगे थे।

सरकार कानून को लाने के लिए आगे बढ़ रही

इससे पहले राज्य में पांच-पांच साल के लिए अलग-अलग पार्टी की सरकार राज्य में बनी थी। सीएम ने कहा कि जनता ने हमारा मार्ग प्रशस्त किया है। इसलिए सरकार सबसे पहले कानून लागू लाने के लिए आगे बढ़ेगी।

यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है?

यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी की समान नागरिक संहिता में देश में रहने वाले सभी धर्मो, समुदाय में एक समान, एक बराबर कानून लाने की बात कही जा रही हैं। अगर हम इसे आसान भाषा में समझे तो इसका मतलब है कि देश में सभी धर्मों, समुदाओं के लिए कानून एक समान होगा।यह कानून संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत इसको शामिल किया गया है। भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को लाने का प्रयास किया जा रहा हैँ।

आजादी के बाद भी चर्चा में आया था UCC

भारत की स्वतंत्रता के बाद UCC पर अलग-अलग विचार थे। जबकि कुछ सदस्यों का मानना ​​था कि UCC भारत जैसे अलग-अलग धर्मों और संप्रदायों वाले देश में लागू करना ठीक या बेहतर नहीं होगा।अन्य का मानना ​​था कि UCC देश में अलग-अलग समुदायों के बीच एक देश-एक कानून की तर्ज पर सद्भाव लाएगा।

भारत के केवल गोवा में लागू हैं UCC

दरअसल,देश में एक शहर ऐसा भी है जहां आज या कल से नहीं बल्कि लगभग 150 साल पहले UCC को लाया गया था। वर्तमान समय मेंगोवा भारत का एकमात्र राज्य है। जहां समान नागरिक संहिता है।इस संहिता की जड़ें 1867 के पुर्तगाली नागरिक संहिता में मिलती हैं। जिसे पुर्तगालियों द्वारा लागू किया गया था और बाद में इसे वर्ष 1966 में नए संस्करण के साथ बदल दिया। गोवा में सभी धर्मों के लोगों के लिए विवाह, तलाक, विरासत आदि के संबंध में समान कानून हैं।

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