
Who Is Ahmed-Al-Ahmed:सिडनी के बॉन्डी बीच पर 14 दिसंबर को हुए आतंकी हमले में एक आम नागरिक की बहादुरी ने कई जिंदगियां बचाईं। हमले के दौरान एक बंदूकधारी को पीछे से दबोचकर उसकी बंदूक छीन लेने वाले इस शख्स का नाम अहमद अल-अहमद है, जो एक फल की दुकान चलाते हैं। 43 साल के अहमद की बहादुरी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें उसे सिडनी का हीरो बताया जा रहा है।
बता दें, सिडनी आतंकी हमले में अबतक 16 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला एक यहूदी समुदाय के हनुक्का कार्यक्रम पर हुआ था, जिसे ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने आतंकी घटना घोषित किया है। हमलावरों की पहचान पाकिस्तानी मूल के बाप-बेटे साजिद अकरम और नवेद अकरम के रूप में हुई है, जो कथित तौर पर वीकेंड मनाने के बहाने घर से निकले थे। जांच में ISIS के झंडे मिलने से पाकिस्तानी कनेक्शन की पुष्टि हुई है।
कौन हैं अहमद अल-अहमद?
दरअसल, अहमद अल-अहमद मूल रूप से सीरिया के रहने वाले हैं और 2006 में ऑस्ट्रेलिया आकर बस गए। वे बॉन्डी बीच इलाके में एक फ्रूट शॉप चलाते हैं और उनकी दो बेटियां भा हैं। उनके माता-पिता मोहम्मद फतेह अल-अहमद और मलकेह हसन अल-अहमद हाल ही में सीरिया से सिडनी आए हैं, क्योंकि परिवार सालों से अलग-अलग देशों में रह रहा था। अहमद के दोनों भाई जर्मनी और रूस में हैं। अहमद के माता-पिता ने बताया कि अहमद हमेशा से दूसरों की मदद करने के लिए आगे रहा है। उसने कभी भी किसी भी मजहब या राष्ट्रीयता के भेदभाव के बिना लोगों की मदद की है।
अहमद ने कैसी छीनी बंदूक और उस दौरान क्या हुआ?
जानकारी के अनुसार, अहमद एक दोस्त के साथ कॉफी पी रहे थे, तभी उन्होंने गोलियों की आवाज सुनी। एक हमलावर एक पेड़ के पीछे छिपकर फायरिंग कर रहा था। जब हमलावर की गोलियां खत्म हुईं, तो अहमद पीछे से दौड़कर आए और उसे दबोच लिया। दोनों के बीच संघर्ष हुआ, जिसमें अहमद ने बंदूक छीन ली और उसे पेड़ के पास रख दिया। इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें
साफ देखा जा सकता है कि अहमद एक पार्क की गई कार के पीछे छिपे थे, फिर अचानक उठकर हमलावर पर झपटे। इस दौरान एक अन्य नागरिक ने हमलावर पर कोई चीज फेंकी, जिससे वह पीछे हट गया। लेकिन पास के ब्रिज से दूसरे हमलावर ने फायरिंग की, जिसमें अहमद को कंधे में गोली लगीं। बताया जा रहा है कि गोलियां हड्डी में फंसी हैं और उन्हें कई सर्जरी की जरूरत है। लेकिन अहमद की इस बहादुरी से कई लोगों की जान बची, क्योंकि हमलावर आगे फायरिंग नहीं कर सका।
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