
Asim Munir CDF:पाकिस्तान की सैन्य संरचना में ऐतिहासिक बदलाव आ गया है। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने 04 दिसंबर को फील्ड मार्शल सैयद आसिम मुनीर को देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस (CDF) के रूप में नियुक्ति किया है। यह नियुक्ति सेना प्रमुख (COAS) के पद पर बरकरार रहते हुए की गई है और इसका कार्यकाल पूरे 5 साल का निर्धारित किया गया है। साथ ही, मुनीर को COAS के रूप में अतिरिक्त 2 साल का विस्तार भी मिला है। यह कदम पाकिस्तानी सेना की एकीकृत कमान को मजबूत करने की दिशा में बड़ा प्रयास माना जा रहा है, जो मुनीर की स्थिति को और सशक्त बना देगा।
प्रधानमंत्री की सिफारिश से राष्ट्रपति की मंजूरी तक
बता दें, यह मंजूरी त्वरित लेकिन सुनियोजित रही। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने नियुक्ति संबंधी सारांश राष्ट्रपति को भेजा, जिस पर जरदारी ने बिना देरी के हरी झंडी दे दी। आधिकारिक बयान में कहा गया कि यह फैसला सैन्य नेतृत्व की दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है। पाकिस्तान में CDF का पद पहली बार सृजित किया गया है, जो सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच समन्वय को एक छत के नीचे लाएगा। मुनीर, जो नवंबर 2022 से COAS हैं, अब रक्षा नीतियों और संचालन पर समग्र नियंत्रण रखेंगे।
इससे पहले पाकिस्तान की सैन्य प्रणाली में तीनों सेनाओं के प्रमुख अलग-अलग रिपोर्ट करते थे, लेकिन CDF के गठन से राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में अधिक तालमेल की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव आंतरिक स्थिरता और सीमा सुरक्षा को मजबूत करेगा, खासकर भारत और अफगानिस्तान से लगी सीमाओं पर।
सेना की बढ़ती भूमिका पर बहस
दरअसल, मुनीर की यह दोहरी भूमिका पाकिस्तान की राजनीति और सैन्य व्यवस्था में सत्ता के केंद्रीकरण का संकेत देती है। आलोचकों का कहना है कि इससे सेना का प्रभाव और प्रबल हो जाएगा, जो पहले से ही देश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है। विपक्षी दलों और विश्लेषकों ने इसे 'सैन्य वर्चस्व की नई शुरुआत' करार दिया है, जो लोकतांत्रिक संस्थाओं पर दबाव बढ़ा सकता है। हालांकि, सरकारी पक्ष इसे 'राष्ट्रीय हितों की रक्षा' के रूप में पेश कर रहा है।
Leave a comment